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8.9.08

जय जय भड़ास

6 comments:

यशवंत सिंह yashwant singh said...

सुनील मंथन भाई, दरअसल सलाम प्रभात खबर और आपको। इसलिए कि प्रभात खबर ने भड़ास की भदेस संवेदना को अपने पन्ने पर सम्मान दिया और आपको इसलिए कि आपने इतने दूर रहते हुए भी इंटरनेटी दुनिया के माध्यम से हम लोगों की 'करतूतों' पर हर पल निगाह रखा और इसे खबर की शक्ल देकर बाकी लोगों तक पहुंचाया।

मैं आपसे सही बताऊं, आपने जो पीडीएफ और ईमेल लिंक भेजे थे, उन्हें व्यस्तता की वजह से नहीं देख पाया। आपको फोन कर फर्जी ही धन्यवाद दे डाला था। पर आज जब यहां पोस्ट देखा तो पूरा पढ़ा और अपनी फोटो देखकर तो बड़ा मजा आ गया। दरअसल हम देहाती लोग हैं, फोटो वोटो छप जाए तो खुश हो जाते हैं।
हम लोगों ने जो किया वो सब अमित और डा.रुपेश की पहल का नतीजा था जिसके बाद लोग जुड़ते चले गए। भड़ास जैसा मंच अगर इसी तरह के कुछ सार्थक काम करता रहा तो ही इसकी सार्थकता है वरना भड़ास निकालने का सतही माध्यम भर बनकर रह जाएगा, यह मुझे महसूस होने लगा है। पिछले कई महीनों से भड़ास का स्तर काफी सुधरा है, इसके पीछे और कोई नहीं बल्कि भड़ासियों का ही योगदान है क्योंकि मैं, रुपेश जी और अन्य पुराने भड़ासी केवल कमेंटबाज होकर ही रह गए हैं, अलग से पोस्ट कम ही लिख पाते हैं।

एक बार फिर प्रभात खबर और आपको साधुवाद।
जय भड़ास
यशवंत सिंह

अमित द्विवेदी said...

bahut dinon se bhadas par kuch likh nahee paa rahaa hoon. kyunki aajkal mera exam chal rahaa hai. par such boloon kitabon ke beech se thoda samay nikalkar main yahan zaroor ek baar visit kartaa hoon. aaj prabhat khabar ki yahan par ye cutting dekhee to bahut achha lagaa. maine socha lawoe kam se kam ek comment likh doon. karunakar to chala gayaa par wo in madhyamon se hamare beech me hameshaa rahegaa. is kahabar ko dekhkar mujhe ye andaaaza lag gayaa. main iske liye dhanyabaad kahkar aapke is prayaas ko sharmindaa nahee karoongaaa. par main ise dkhkar bahut khuch huaa hoon.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

सुनील भाई,जज़्बे को सलाम करा अच्छा लगा,ईश्वर करे कि ये सलाम पाने वाला जज़्बा सलामत रहे। आपको दिल की गहराइयों से धन्यवाद

Anonymous said...

सुनील भाई ..मुझे पिछले दिनों की याद आगई जब भड़ास के द्बारा चलाये गए करुणाकरण अभियान पर कुछ टुच्चे और चूतियम सल्फेट टाइप प्रानीओं ने ओछी मानसिकता का परिचय देकर अनापेक्षित रूप से चिकर-भोकर रहे थे. समझने वाले समझ गए होंगे की उन कमीनों के गाल पर तमाचा तो तब लगा जब करुणाकरण के लिए हजार हाथ भड़ास के साथ उठ गए,लेकिन कुदरत को शायद यह मंजूर नहीं था और करुनाकर हमारे बीच से चला गया.
आपने इस घटनाक्रम और भड़ास की सक्रियता को प्रभात खबर के माध्यम से लोगोंं तक पहुंचाकर इंटरनेट की ताकत को जिस खूबसूरती से दर्शाया है उसके लिए हम भडासी आपका तहे दिल से इस्तकबाल करते हैं.

Anonymous said...

भाई,
आपको साधुवाद,
वैसे भड़ास के जज्बे को नही अपितु इंसानियत के जज्बे को सलाम क्यूंकि जिसदिन भड़ास से इंसानियत ख़तम हो जायेगी, कोई जज्बा आपको नही दिखाई देगा, सो इस्वर से प्रार्थना की भडासी के इंसानियत को जिंदा रखे.
जय जय भड़ास

Anonymous said...

मायूसी छोड़ो

मेरे प्यारे देशभक्तों,
आज तक की अपनी जीवन यात्रा में मुझे अनुभव से ये सार मिला कि देश का हर आदमी डर यानि दहशत के साये में साँस ले रहा है! देश व समाज को तबाही से बचाने के लिए मायूस होकर सभी एक दूसरे को झूठी तसल्ली दिए जा रहे हैं. खौफनाक बन चुकी आज की राजनीति को कोई भी चुनौती देने की हिम्मत नही जुटा पा रहा. सभी कुदरत के किसी करिश्मे के इंतजार में बैठे हैं. रिस्क कोई लेना नहीं चाहता. इसी कारण मैं अपने देश के सभी जागरूक, सच्चे, ईमानदार नौजवानों को हौसला देने के लिए पूरे यकीन के साथ यह दावा कर रहा हूँ कि वर्तमान समय में देश में हर क्षेत्र की बिगड़ी हुई हर तस्वीर को एक ही झटके में बदलने का कारगर फोर्मूला अथवा माकूल रास्ता इस वक्त सिर्फ़ मेरे पास ही है. मैंने अपनी 46 साल की उमर में आज तक कभी वादा नहीं किया है मैं सिर्फ़ दावा करता हूँ, जो विश्वास से पैदा होता है. इस विश्वास को हासिल करने के लिए मुझे 30 साल की बेहद दुःख भरी कठिन और बेहद खतरनाक यात्राओं से गुजरना पड़ा है. इस यात्रा में मुझे हर पल किसी अंजान देवीय शक्ति, जिसे लोग रूहानी ताकत भी कहते हैं, की भरपूर मदद मिलती रही है. इसी कारण मैंने इस अनुभव को भी प्राप्त कर लिया कि मैं सब कुछ बदल देने का दावा कर सकूँ. चूँकि ऐसे दावे करना किसी भी इन्सान के लिए असम्भव होता है, लेकिन ये भी कुदरत का सच्चा और पक्का सिधांत है की सच्चाई और मानवता के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर जो भी भगवान का सच्चा सहारा पकड़ लेता है वो कुछ भी और कैसा भी, असंभव भी सम्भव कर सकता है. ऐसी घटनाओं को ही लोग चमत्कार का नाम दे देते हैं. इस मुकाम तक पहुँचने के लिए, पहली और आखिरी एक ही शर्त होती है वो है 100% सच्चाई, 100% इंसानियत, 100% देशप्रेम व 100% बहादुरी यानि मौत का डर ख़त्म होना. यह सब भी बहुत आसान है . सिर्फ़ अपनी सोच से स्वार्थ को हटाकर परोपकार को बिठाना. बस इतने भर से ही कोई भी इन्सान जो चाहे कर सकता है. रोज नए चमत्कार भी गढ़ सकता है क्योंकि इंसान फ़िर केवल माध्यम ही रह जाता है, और करने वाला तो सिर्फ़ परमात्मा ही होता है. भगवान की कृपा से अब तक के प्राप्त अनुभव के बलबूते पर एक ऐसा अद्भुत प्रयोग जल्दी ही करने जा रहा हूँ, जो इतिहास के किसी पन्ने पर आज तक दर्ज नहीं हो पाया है. ऐसे ऐतिहासिक दावे पहले भी सिर्फ़ बेहतरीन लोगों द्वारा ही किए जाते रहे हैं. मैं भी बेहतरीन हूँ इसीलिए इतना बड़ा दावा करने की हिम्मत रखता हूँ.
प्रभु कृपा से मैंने समाज के किसी भी क्षेत्र की हर बर्बाद व जर्जर तस्वीर को भलीभांति व्यवहारिक अनुभव द्वारा जान लिया है. व साथ- साथ उसमें नया रंग-रूप भरने का तरीका भी खोज लिया है. मैंने राजनीति के उस अध्याय को भी खोज लिया है जिस तक ख़ुद को राजनीति का भीष्म पितामह समझने वाले परिपक्व बहुत बड़े तजुर्बेकार नेताओं में पहुँचने की औकात तक नहीं है.
मैं दावा करता हूँ की सिर्फ़ एक बहस से सब कुछ बदल दूंगा. मेरा प्रश्न भी सब कुछ बदलने की क्षमता रखता है. और रही बात अन्य तरीकों की तो मेरा विचार जनता में वो तूफान पैदा कर सकता है जिसे रोकने का अब तक किसी विज्ञान ने भी कोई फार्मूला नही तलाश पाया है.
सन 1945 से आज तक किसी ने भी मेरे जैसे विचार को समाज में पेश करने की कोशिश तक नहीं की. इसकी वजह केवल एक ही खोज पाया हूँ
कि मौजूदा सत्ता तंत्र बहुत खौफनाक, अत्याचारी , अन्यायी और सभी प्रकार की ताकतों से लैस है. इतनी बड़ी ताकत को खदेड़ने के लिए मेरा विशेष खोजी फार्मूला ही कारगर होगा. क्योंकि परमात्मा की ऐसी ही मर्जी है. प्रभु कृपा से मेरे पास हर सवाल का माकूल जबाब तो है ही बल्कि उसे लागू कराने की क्षमता भी है.
{ सच्चे साधू, संत, पीर, फ़कीर, गुरु, जो कि देवता और फ़रिश्ते जैसे होते हैं को छोड़ कर}
देश व समाज, इंसानियत, धर्मं व इन्साफ से जुड़े किसी भी मुद्दे पर, किसी से भी, कहीं भी हल निकलने की हद तक निर्विवाद सभी उसूल और सिधांत व नीतियों के साथ कारगर बहस के लिए पूरी तरह तैयार हूँ. खास तौर पर उन लोगों के साथ जो पूरे समाज में बहरूपिये बनकर धर्म के बड़े-बड़े शोरूम चला रहे हैं.
अंत में अफ़सोस और दुःख के साथ ऐसे अति प्रतिष्ठित ख्याति प्राप्त विशेष हैसियत रखने वाले समाज के विभिन्न क्षेत्र के महान लोगों से व्यक्तिगत भेंट के बाद यह सिद्ध हुआ कि जो चेहरे अखबार, मैगजीन, टीवी, बड़ी-बड़ी सेमिनार और बड़े-बड़े जन समुदाय को मंचों से भाषण व नसीहत देते हुए नजर आ रहे हैं व धर्म की दुकानों से समाज सुधार व देश सेवा के लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियों की बात करने वाले धर्म के ठेकेदार, जो शेरों की तरह दहाड़ते हैं, लगभग 99% लोगों ने बात पूरी होने से पहले ही ख़ुद को चूहों की कौम में परिवर्तित कर लिया. समस्या के समाधान तक पहुँचने से पहले ही इन लोगों ने मज़बूरी में, स्वार्थ में या कायरपन से अथवा मूर्खतावश डर के कारण स्पष्ट समाधान सुझाने के बाद भी राजनैतिक दहशत के कारण पूरी तरह समर्पण कर दिया. यानि हाथी के खाने और दिखने वाले दांत की तरह.
मैं हिंदुस्तान की 125 करोड़ भीड़ में एक साधारण हैसियत का आम आदमी हूँ, जिसकी किसी भी क्षेत्र में कहीं भी आज तक कोई पहचान नहीं है, और आज तक मेरी यही कोशिश रही है की कोई मुझे न पहचाने. जैसा कि अक्सर होता है.
मैं आज भी शायद आपसे रूबरू नहीं होता, लेकिन कुदरत की मर्जी से ऐसा भी हुआ है. चूँकि मैं नीति व सिधांत के तहत अपने विचारों के पिटारे के साथ एक ही दिन में एक ही बार में 125 करोड़ लोगों से ख़ुद को बहुत जल्द परिचित कराऊँगा.
उसी दिन से इस देश का सब कुछ बदल जाएगा यानि सब कुछ ठीक हो जाएगा. चूँकि बात ज्यादा आगे बढ़ रही है इसलिए मैं अपना केवल इतना ही परिचय दे सकता हूँ
कि मेरा अन्तिम लक्ष्य देश के लिए ही जीना और मरना है.
फ़िर भी कोई भी , लेकिन सच्चा व्यक्ति मुझसे व्यक्तिगत मिलना चाहे तो मुझे खुशी ही होगी.. आपना फ़ोन नम्बर और अपना विचार व उद्देश्य mail पर जरुर बताये, मिलने से पहले ये जरुर सोच लें कि मेरे आदर्श , मार्गदर्शक अमर सपूत भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, लाला लाजपत राए सरीखे सच्चे देश भक्त हैं. गाँधी दर्शन में मेरा 0% भी यकीन नहीं हैं.
एक बार फ़िर सभी को यकीन दिला रहा हूँ की हर ताले की मास्टर चाबी मेरे पास है, बस थोड़ा सा इंतजार और करें व भगवान पर विश्वास रखें. बहुत जल्द सब कुछ ठीक कर दूंगा. अगर हो सके तो आप मेरी केवल इतनी मदद करें कि परमात्मा से दुआ करें कि शैतानों की नजर से मेरे बच्चे महफूज रहें.
मुझे अपने अनुभवों पर फक्र है, मैं सब कुछ बदल दूंगा.

क्योंकि मैं बेहतरीन हूँ.

आपका सच्चा हमदर्द (बेनाम हिन्दुस्तानी)
e-mail- ajadhind.11@gmail.com