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10.9.08

धीरू की भड़ास से सदस्यता न खत्म की जाए - अनिल यादव

दोस्तों, आप सब का शुक्रिया।

आप जैसे लोगों की ही वजह से मुझ जैसे करोड़ों दलित, पिछड़े, वंचित तबके में पैदा हुए लोगों का आदमियत, दोस्ती, लोकतंत्र में यकीन बचा हुआ है।

धीरू की टिप्पणी भड़ास में क्या थी, मैने देखी नहीं था। एक टिप्पणी उन्होंने हारमोनियम पर की थी, जिसे -जस का तस- मैने यात्रा की यात्रा-२ के नीचे कमेंट बाक्स में लगा दिया था क्योंकि अब ऐसी चिकोटियों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।

दरअसल यही झेलने-समझने की प्रक्रिया में निर्मित हुआ हूं।

अब जबकि धीरू ने लिखित के अलावा फोन पर भी माफी मांग ली है तो इस मसले को आगे खींचने का कोई औचित्य नहीं लगता।

मेरा आग्रह है कि उनकी भड़ास से सदस्यता ( कम से कम इस टिप्पणी के कारण) न समाप्त की जाए क्योंकि तभी उन्हें लगेगा कि भड़ास के साथियों ने उनकी पश्चाताप भावना का सम्मान किया है।

धन्यवाद।

यादव अनिल

4 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

dhanybad
aap jaise chamsheel vaiktitv ne prabhabit kiya.
big-bag se dunia main to kuch nahi badla lakin meri jindgi main mazak roopi big bag ne kayamat la di. aur aapne samahal liya.dhanybad ek baar phir se aage se ek naya dhiru aap dekhenge .

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अनिल भाई ने कहा है कि अब चिकोटियों से फर्क नहीं पड़ता.... यही जज़्बा तो लोगों को भड़ासी बना देता है। मैं चाहता हूं कि धीरू भाई की सदस्यता उन्हें वापस कर दी जाये। लोकतंत्र की बात भड़ास पर ही सही कहीं तो नजर आती है...
जय जय भड़ास

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

anilji ke chamasheel bayktitb ko pranaam. aj big-bag se dunia ko to nuksaan nahi hua lekin mere mazak roopi bigbag ne muje to kayamat ki yaad dila di.

Anonymous said...

यशवंत जी,
दोनों पक्षों की बात साफ़ होने के बात एक मौका आप धीरू जी को दे सकते हैं, वैसे भी अज्ञानता को मिटाने से बेहतर हो की वहां रोशन-ऐ-चिराग जलाएं.
जय जय भड़ास