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21.9.08

..तो क्या बाढ़ आ रही है दो दिन बाद

आधे अगस्त से सितंबर की शुरूआत तक जब कोसी नदी उफान पर नहीं थी तो यमुना लबालब बह रही थी। मथुरा के दर्जनों गांवों में पानी घुस गया था। इतनी गनीमत जरूर रही कि कोई जन हानि नहीं हुई। अब जब बिहार में कोसी का कोप शांत हो रहा है तो मथुरा में मंगल वार से पहले से भी ज्यादा बाढ़ आ सकती है। जिला प्रशासन की मानें तो खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर तक पानी बुधवार तक हो जाएगा। जनपद के मांट और महावन के करीब डेढ़ सौ गांवों में तबाही भी मच सकती है। जिला प्रशासन ने शनिवार की रात में आपात मीटिंग बुला ली तो रविवार के अवकाश में मंडलायुक्त ने यहां आकर निर्देश जारी किए।
रविवार को मांट और महावन के एसडीएम एवं पुलिस ने पचास से ज्यादा गांवों के निवासियों को तत्काल गांव खाली करने की चेतावनी दी है। सुरक्षित स्थानों पर डेढ़ दर्जन करीब कैंप बनाए गए हैं। जिला पूर्ति अधिकारी ने मिट्टी के तेल का कोटा जारी कर दिया है। दरअसल यह सारी कवायद इसलिए हो रही कि टिहरी डैम में पानी बड़ी मात्रा में बढ़ गया है और इससे ताजेवाला हैड वर्क्स पर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए शुक्रवार की रात से पानी छोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ है और आज रविवार तक चार लाख नौ हजार क्यूसिक पानी छोड़ दिया गया है। शनिवार को सुबह आठ बजे से लेकर सायं चार बजे तक चार बार पानी का डिस्चार्ज मथुरा की ओर किया गया। यह पानी आज दिल्ली के ओखला बैराज से पास हो गया। सोमवार की सायं तक मथुरा में एक लाख क्यूसिक पानी होकर गुजरेगा। गुरुवार तक आगरा और इसके दो दिन बाद इटावा की ओर पानी बढ़ेगा, लेकिन इससे मथुरा में तबाही मचने के ज्यादा आसार हैं। एसएसपी ने रविवार को अधीनस्थों की मीटिंग लेकर सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। एक साथ चार लाख क्यूसिक से ज्यादा पानी छोड़े जाने से यमुना व नहरों की पटरियों के टूटने का खतरा भी बढ़ गया है। इससे पहले मथुरा में सन् 78 में बाढ़ आयी थी, जिससे भारी तबाही मची थी। लेकिन इस बार मथुरा में पक्के घाट बन जाने से यमुना के दूसरी ओर ही पानी घुसने का अंदेशा है।

पवन निशान्त

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