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8.9.08

टुच्चे चैनलों

जय भड़ास
क्या मीडिया जगत में इन टुच्चे चैनलों के लिए कोई नियम कानून है की नही
कुछ दिन पूर्व एक तथाकथित चैनेल पर बुधवार १० २००८ को पूरी दुनिया के ख़तम होने का समाचार सुनकर अत्यन्त दुख हुआ की क्या समाज को यही दिशा दे रहे है या अपनी टी आर पी के चक्कर में मीडिया की ऐसी तैसी कर रहे है | क्या किसी के पास है इसका जबाब क्या समाज के प्रति कोई जबाबदेही नही है इनकी
और क्या ऐसा कोई नियम है जो इन पर रोक लगा सके ? ये साले उल्लू की पूछ भी टूटे तो ख़बर बना देते है मरघट और शमशान ही इनके मुख्य विषय होते है |
इन सालो को तो सरेआम सजा देनी चाहिए |

4 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाई,चैनलों के मालिक क्या करें चोरी हत्या लूट बलात्कार की खबरें अब भारत में सनसनी नहीं फैला पाती हैं तो अब ऐसी ही बातों को खबर बना कर समाचार भी दिखाएंगे और फाड़े भी रहेंगे। कानून तो हैं लेकिन अमल नहीं है....
जय जय भड़ास

आलोक सिन्हा said...

Dhanwantari bhai

Patrkarita to ek mission hai kammane khane ka dhanda nahi.

Aur pet ke liye to sab jeete hai

abhishek said...

साहब साफ तौर पर कहें कि किस चैनल के बारे में बात कर रहें है।।।।।। वैसे बहुत ही पुराना विषय है।।।।। अब बात आक्रामक होकर प्रहार करने की है।।।।। अौर वो हिम्मत बहुत कम लोगों में है।।। जय भडास

Anonymous said...

अभिषेक भाई,
मैं इस बीच टी वि से दूर रहा नही तो इन चैनलों को फार चीर कर आपको बता देता की कोण चुतिया लोगों को चुतिया बना कर अपना टेढा सीधा कर रहा है, वैसे भी बताने की जरुरत नही क्योंकि जब सारे कुत्ते हैं तो एक जैसा ही भोंकेंगे, हाँ इस भोंकने से लोगों की नींद जरूर ख़राब होती है.
जय जय भड़ास