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13.9.08

जारी है पत्रकारिता

शराब के संग डेक पर
कबाब के संग मेज पर
शबाब के संग सेज पर
जारी है , इस दौर में पत्रकारिता
गन माईक के दम से
कलम के अहम् से
लक्ष्मी की चाहत में
जारी है ,जीवन बिगारने बनाने
की पत्रकारिता
अनैतिक राहो से
अमानविये निगाहों से
अश्रधय भावों से
जारी है ,लुटने खसोटने
की पत्रकारिता
टी आर पी की चाह में
विजुअल की चोरी से
मनगढ़ंत स्टोरी से
जारी है ,कलमुही पत्रकारिता
भुत प्रेत पिचास से
काम और अपराध के
बेहूदी बकवास स
जारी है ,
राक्षसी पत्रकारिता
मानिए न मानिए
आज के इस दौर में
हो गई है बदचलन औ बेहया
पत्रकारिता

amitabh bhushan

2 comments:

Anonymous said...

kans ke raj me bhee akrur ji or dhrtrastr kee sabha me vidur jee jaise mantri the. is liye aap bhee usi prakar rahiye jaise danto ke beech jeebh rahti hai.
----govind goyal sriganganagar[09414246080]

Anonymous said...

भैये,
पत्रकारिता अगर बेहाया हो गयी है, पत्रकार दलाल और दलाली के इस धंधे को फलने फूलने में सरकार बराबर कि सहयोगी है तो जिस तरह चोर और चूतिये नेता को चुनने के जिम्मेदार हम हैं उसी तरह इन चूतियों कि जमात कुकुरमुत्ते पत्रकारों कि दलाली को झेलने के लिए भी हम ही जिम्मेदार हैं,
खबर कि चाटुकारिता ने हमारे टेस्ट को पकड़ लिया है और फास्ट फ़ूड के जामने में खबर का फास्ट फूडीकरण ने लोगों कि जिम्मेदारी और संवेदनशीलता ख़तम कर दिया है.
जय जय भड़ास