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9.9.08

सठियाना राज ठाकरे जैसे बद् दिमाग का और हमारी राष्ट्रभाषा..

राज ठाकरे की हरकतें तो छुटभैये नेताओं को भी शर्मशार कर दें। मनसे के इस नौजवान नेता ने जया बच्चन को निशाना बनाते हुए कहा कि "गुड्डी बुढ्ढी हो गयी लेकिन अक्ल नहीं आयी।

राज को न तो स्त्रियों का सम्मान करना आता है और न ही राष्ट्र और राष्ट्रभाषा का। मनसे के इस बेलगाम नेता से सवाल करना तो दूर, महाराष्ट्र की क्षेत्रीय पार्टियां मराठी जनमानस का ध्यान ऐसी ही टुच्ची हारकतों से अपनी ओर खींचने में लगी हैं। जया बच्चन ने एक फिल्म समारोह के दौरान इतना ही तो कहा था कि हिन्दी बोलने के लिए मैं मराठा लोगों से माफी मांगती हूँ। सबसे पहले इस देश का नागरिक होने के नाते हमें राष्ट्रभाषा हिन्दी के अपमान और भाषाई आधार पर राजनीति करने वाले नेताओं पर हमला क्यो नहीं बोलना चाहिए? कोई भी हिन्दी और हिन्दुस्तान की ऐसी-तैसी करता रहे और हम तो कबूतर की तरह आँखें बन्द कर ही लेते हैं, हमारी राष्ट्रीय पार्टियां भी अपने मुंह सी लेती हैं।
सबको जैसे इन बयानों और भाषाई राजनीति पर अपनी अपनी रोटी सेंकने वाले नेताओं की आदत सी पड़ गयी है। महाराष्ठ्र कोई अलग देश नहीं कि वहाँ एक बेलगाम नेता अपनी रोटियां सेंकने के लिए ऊत्तर भारत के लोगों पर हमले करवाता रहे, विनम्र बहादुर और मृदुभाषी मराठा लोगों को अपने वोट बैंक के लिए भड़काता रहे और हम उसे मलेशिया या पाकिस्तान के किसी नेता की तरह हिजड़े बनकर सहते रहें। महाराष्ट्र और मुम्बई मनसे की बपौती नहीं है जो किसी भारतीय को वहाँ रहने से रोक सके और प्रताड़ित करने का जन्मसिद्ध अधिकार पा सके।

देश से ना कोई बड़ा है और ना ही हमारी राष्ट्र भाषा से। राज ठाकरे जैसे छुटभैये नेताओं को सबक सिखाना जरूरी है नहीं तो ये सत्ता हथियाने के लिए किसी भी हद तक गिर जायेंगे।

5 comments:

Unknown said...

जब कुछ नेता अपने आकार से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं और जनता उनका नोटिस नहीं लेती तो वह किसी हद तक भी जा सकते हैं. पर दुःख की बात यह है कि महाराष्ट्र के लोग क्या अब इन्हीं बातों से प्रभावित होंगे?

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

त्रिपाठी जी,राज ठाकरे असल में पगला गया है अब उससे मनसे के लोग भी क्योंकि अब वो भौंक-भौंक कर काटने लगा है......अगर हो सकेगा तो कोशिश करके कुत्ता पकड़ने वाले मैं भेज दूंगा लेकिन पूरी उम्मीद है कि मेनका गांधी उसे बचाने के लिए आगे आ जाएगी
जय जय भड़ास

Anonymous said...

is desh me bhahi sankyak aur jan bhasha kaa apmaan karna aam baat hai

Anonymous said...

jkt Bkdjs dks crkvksa dh egkjk"Vª Hkkjr esa gh gS] ugha gS rks Hkkjr ls vyx dj yks fQj ogh cqyokuk] fy[kokuk vkSj lqUuk ejkBhA

Anonymous said...

अरे अरे शर्मा जी ई क्या लिख दिए कुच्छो समझ में नही आया, कहीं दूसरा भासा का इजाद तो नही, ससुरे एगो राज वैसे ही पगला के सबको काटता फ़िर रहा है ;-)
वैसे भी सुरेश जी ने सही कहा चड्ढी के अन्दर का राज चड्ढी से बहार आनन चाह रहा है और इस चाह में वोह चड्ढी फर्ने की कोशिश भी कर रहा है, इस विभीषण के वंशज ने महारास्ट्र और मराठियों को भी बदनाम कर रखा है, अगर समय रहते इस पागल कुते को अंजाम तक ना पहोंचाया गया तो पता नही कितनो को कटेगा, और हमारे हिजडे नेता लोग ( माफ़ करेंगे वोह कोम जो प्राकृतिक रूप से विकलांग हैं मगर इस चूतियों की जमात से सौ गुना बेहतर हैं ) अपने स्वार्थ के लिए राज का वकालत नामा जारी रखेंगे. और लोगों के मान सम्मान और मित्रवत भावना के अलगाववाद को हवा देते रहेंगे.
पता नही कब अकाल आयेगी मराठियों को जो इस पागल कुत्ते को उठा कर समंदर में डाल देंगे.
जय जय भड़ास