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24.9.08

मेरी चीजें !!

मेरे पास ढेर सारी चीज़ें थीं -
मैं उन्हें काफी दिनों तक सहेजता रहा ,
मगर -
अंततः उनमें से एक भी चीज़ न बची !!
और -
मैं बिल्कुल अकेला रह गया !!
तब मैंने जाना कि चीज़ें ,
कभी सहारा नहीं बनती ,आदमी का ,
यहाँ तक कि साया भी नहीं !!
अंततः
आप भी नहीं बचते ,चीज़ों की तरह !!

फिर, एक दिन अचानक -
वे सारी चीजें -
मेरे पास वापस आ गयीं ,
और मैनें उन्हें -
समस्त पृथ्वी-वासियों में बाँट दिया -
मगर तब भी -
मेरे पास कुछ चीज़ें बच ही रहीं !!
तब मैनें उन्हें -
अन्तरिक्ष-वासियों को दे डाला !!
सबने मुझे धन्यवाद दिया,
और मैनें भी उन्हें ,
उनके ढेर सारे प्यार के लिए !!

मैनें पाया कि -
मेरी समस्त चीज़ें तो ,
मेरे पास ही मौजूद थीं ,
और भी सघन होकर -
सबके -
ढेर सारे प्यार के रूप में !!

3 comments:

Maqbool said...

Bhai Bhootnathji,
Subhanallah.kyaa baat he.bhai naam to bhootnath he lekin baat badi pate ki he.isme koi shak nahi he ki aap jitna baatenge usase jyada aap paayenge.Behtarin rachna ke liye badhaai.
Maqbool

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

maqbool bhai,
dhanyavaad !! aur bas itnaa hi kahunga ki kaash ham sabka jeevan esa ban paaye ,to maanavataa sukun mile !!

Anonymous said...

भाई भूतनाथ,
शानदार रचना है, जीवन का दर्शन, अद्भुत है. आप जारी रहिये नवीन रचनाओं के साथ.
बहुत बहुत बधाई