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15.9.08

कोई राज को नाथो!

महाराष्ट्र में भाषा और क्षेत्रीयता के नाम पर हो रही बदमाशी के आगे आम आदमी की तो औकात ही क्या सरकार ने भी घुटने टेक दिए हैं। मराठी अस्मिता की दुकान खोलकर बैठे राज की भावना किसी के मुंह खोलने भर से ही आहत हो जाती हैं। इसे अमिताभ की मजबूरी कहें या समझदारी लेकिन फिलवक्त माफीनामे में ही भलाई है। बुद्धिजीवी घराने के मशहूर वारिस जानते हैं कि लुच्च बड़े परमेश्वर से। हैरत तो इस बात की है कि महाराष्ट्र सरकार भी राज की चिरौरी में लगी है और इस मुद्दे पर मुंह खोलने से कतरा रही है। इसकी वजह राजनीतिक मजबूरी ही कही जा सकती है। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस, बाल ठाकरे के सामने सूबे में बौने नजर आते हैं। ऐसे में राज का मराठी हित में विषवमन दोनों पार्टियों को अपने हित में नजर आ रहा है। सोच है कि, बाल ठाकरे का जनाधार अगर दो हिस्सों में बंट जाए तो इनका वोट फीसदी खुद ही बढ़ जाएगा। लेकिन इतिहास से कांग्रेस ने सबक नहीं लिए। इसके पहले बाल ठाकरे को साम्यवादियों और समाजवादियों के खिलाफ इसी तरह उतारा गया था। सोच यही थी, लेकिन अंजाम सोच से इतर। बाल ठाकरे ऐसे उभरे कि कांग्रेस और उसकी पुछल्ला पार्टी सेना की पुछल्ला भर बनकर रह गईं। हालात वही हैं और महाराष्ट्र सरकार को इस बाबत पहल करनी होगी। आंखे मूंदने से काम नहीं चलेगा, सूबे में रह रहे लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की बनती है।नैतिकता के नाम पर सीत्कार करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अब नहीं दिखते। अभी अगर कोई आतंकवादी मुठभेड़ में मारा जाए तो सारे मानवाधिकारवादी भेड़ों की तरह मिमियाने लगेंगे। इस घर में पल रहे आतंकवादी के खिलाफ बोलने में लगता है गले में बर्फ जम गई। कहां हैं जनहित याचिका दायर करके शोहरत बटोरने वाले? क्या राज के खिलाफ मुकदमे नहीं बनते। बनते हैंदेशद्रोहराष्ट्रभाषा का अपमानलोकप्रशांति भंग करनासामाजिक वैमनस्य को बढ़ावामहाराष्ट्र में जान-माल का नुकसानऐसे ही और भी मुकदमे उसके खिलाफ बनते हैं, पर कोई पहल तो करे। सरकार की तरह सब आंखें खोल कर तमाशा तो देख रहे हैं लेकिन पहल करने के नाम पर सब अंधे। अगर सरकार ऐसे ही चुप ही तो राज की तोप के मुहाने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी चढ़ सकते हैं। चलो हम भी देखें क्या होगा?कैसे होगा?

1 comment:

Anonymous said...

जहाँ दाउद का सारा कार्य सरकार और उसके नुमाइंदे ने सम्हाल रखें हैं, और खबर की आपाधापी में मीडिया सरकार के तलुए चाटती दिख रही है वहां का तो ये ही अंजाम होना है, जरुरत है आम लोगों के जागरूक होने कि और समाज के इन दलालों के खिलाफ लामबंद होने की नहीं तो ये सिलसिला चलता रहेगा.
जय जय भड़ास