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22.9.08

झारखंड की जनता के नाम !!

आ ना कुछ करके दिखाते हैं !!

आ चल तुझे इक खेल खिलाते हैं,चल ज़रा चाँद को ही छु आते हैं !!
आ ना खुशियाँ बटोर कर लाते हैं,कुछ देर जरा बच्चों को खिलाते हैं !!
हर रोज़ अच्छाई की कसम खाते हैं,रोज़ कसम तोड़कर सो जाते हैं!!
खुदा को तो जरा भी नहीं जानते हैं,और मस्जिद में नमाज़ पढ़ आते हैं !!
असल में कुछ दिखाई तो देता नहीं,लोग सपनों की महफ़िल सजाते हैं!!
ख़ुद तो खुदा से किनाराकशी करते हैं,बच्चों को उसकी कसम खिलाते हैं!!
इक दिन मुझे उदास देख बेटी बोली,पापा चलो ना पार्क घूम आते हैं!!
जिनके भीतर कुछ नहीं होता वे अक्सर,अपने कपड़े...जूते दिखाते हैं!!
बाहर तो चलाते हैं वो गोलियाँ और,घर में खुदा की फोटुयें सजाते हैं !!
बहुत ज्यादा छोटी रखी हुई है हमने,आओ प्यार की चादर और फैलाते हैं !!
इबादत थोडी ना करते हैं हम "गाफिल",वो तो बस अपना दिल बहलाते हैं !!

"गाफिल"जाने भी दो ना !!

दुनिया बदल रही है,इसे देखने दो ना ,क्या अच्छा है बुरा क्या समझने दो ना !!
रात को आराम से गुजर जाने भी दो,समय से पहले तो रौशनी को पकडो ना !!
खुदा के पास पहुँचने के हैं रस्ते कई ,सबको अपने ही रास्ते पे चलने दो ना !!
तलवारें चलाने से भला खुदा मिला है?हर किसी को उसकी खुदाई बख्शो ना !!
जिसके नाम पे हो जाते हो लामबंद ,कभी उसकी रज़ा को भी तो समझो ना !!
खिंच जाती हैं बात-बात पर तलवारें,अब इतना भी किसी बात को पकडो ना !!
अल्ला को तो खुला-खुला ही रहने दो,अपनी आदतों में तुम उसे तो जकडो ना!!
तेरे होने के भरम में जीता हूँ यारब ,कहाँ हो कभी घर आकर तो मिलो ना !!
तेरे नाम पे ठा-ठा करता है आदम ,यार इसके दिमाग को बदल डालो ना !!

ये जो हो रहा है !!

जो हो रहा है उसे समझ,ख़ुद को समझाने दे ,
चुप मत बैठ आदम ,दिल को तिलमिलाने दे!!
अपने या घर-दूकान के भीतर घुसा मत रहा,
बाहर निकल,ताज़ी हवा को भी पास आने दे!!
कोई भी किसी को जीने क्यूँ नहीं दे रहा ,
ख़ुद को कभी उनसे ये बात कर के आने दे !!
तेरे कूच करने से ही बदल पाएगी ये फिजां ,
तू अपनी मुहब्बत से जरा इसे बदलवाने दे !!
जन्नत एक तिलिस्म नहीं है मेरे भाई,सच,
मेरे साथ चल,प्रेम के गली में हो के आने दे !!
तू अपनी सोच में अच्छा हो के बैठा मत रह,
तू अपने अच्छे कर्मों को यां खिलखिलाने दे !!
तेरे रहते ही कुछ अच्छा हो,तो हो जाए"गाफिल",
वरना इस बेमुरौवत जिंदगी का क्या,जाने दे !!
इत्ती-सी बात को दिल में लिए बैठे हो,
अब छोड़ो भी "गाफिल"जाने दो ना !!

2 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

jane diya sir kis kis par hansiye kis kis par roiye

govind goyal sriganganagar

Anonymous said...

जब तक है गुरु जी, झारखंड का कोई क्या उखर सकता है, आखिर उखारने का ठेका गुरु जी ने जो ले रखा है,
सौ चूहे खा के बिल्ली हज करती है, वैसे ही हत्यारे झारखण्ड का राज पाट सम्हालते हैं.
जय जय भड़ास