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11.10.08

मंच बना रहे.....?

कई दिन से भादाश पर जो कुछ चल रहा था उसकी परणीती दो भाइयों के निष्कासन के साथ हुई...भाई ये ग़लत बात है...गलती किसकी ये मत सोचिये ...ये सोचिये की अब कहाँ उगलेंगे..?आख़िर ये ही तो हमारा मंच है...कम...से कमकहीं तो हम भी बोलेंगे और लोग हमे सुनेंगे....आख़िर ये .... मंच.....भी हम सब का है....इसे राजनीती से दूर रखिये ये मेरी गुजारिश है इसे अपने अहम् से दूर एराखिये...हाथ जोड़ कर विनती है....कृपया कुछ खुल कर लिखने पढने का मंच कायम रखो...दुनिया में घूम वैसे भी बहुत है...कुछ तो बाकी रहे...रजनीश परिहार.....

1 comment:

उमेश कुमार said...

अच्छा है की आपने भडास को छोड दिया यहां कुछ लोग अपनी बपौती मान कर चल रहे थे।मुझे आज भी घृणा होती है उस ब्यक्ति के लेख से जब उसने लिखा था की हमे पत्रकारो से किसी तरह की मदद नही चाहिए क्योकी इनका चरित्र हम अच्छी तरह जानते है। यह वाकया तब का है जब भडास के तरफ़ से दिल्ली के किसी सज्जन के लिए मदद की अपील की गई थी और मैने कुछ बाहैसियत भेटं की इच्छा जाहिर की थी।हालाकिं बाद मे रुपेश श्रीवास्तव भाई के प्रत्युत्तर के बाद वह तुच्छ भेटं उनके बैक एकाउंट मे ट्रासंफ़र किया था। आज भी मेरे ब्लाग मे उस ब्यक्ति के लिए सन्देश लिखा हुया है।(एक पत्र चरित्र वालो के नाम से पोस्ट पब्लिश है)