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13.10.08

मैं तो पत्रकार हूं....



कलम की तलवार हूं
कटाक्ष की कटार हूं
सत्य की मैं धार हूं
वैचारिक ज्वार हूं
लोकतंत्र है जिसकी मंज़िल,
मैं वो पत्रकार हूं...

भाषाई औज़ार हूं
अभिव्यक्ति का व्यवहार हूं
अंकुश हूं, हथियार हूं
ख़बरों की जो ख़बर ले
मैं ऐसा ख़बरदार हूं
लोकतंत्र है जिसकी मंज़िल,
मैं वो पत्रकार हूं...


- पुनीत भारद्वाज

1 comment:

Anonymous said...

इश्वर आपकी पत्रकारिता जीवित रखे, आपके धार को बनाए रखे ऎसी शुभकामना.