Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

8.10.08

खली की याद सताती है...

मित्रों बैठे-बैठे बकवास हो गई तो उसे छाप दिया कृपया पढ़कर अपनी राय से अवगत कराएं।

बहुत दिन हुआ खली को देखे।
मुझे उनकी याद सता रही है। भूत-प्रेत देखे भी बहुत दिन हुआ। राखी का दीदार हुए भी एक अरसा बीत गया। आकाश गंगा में हर क्षण होने वाले विस्फोट भी अब नहीं सुनाई देते। ‘सावधान! वो आ रहे हैं’ का भी कोई पता नहीं। साईं बाबा के चमत्कार भी अचानक कम हो गए हैं। महामशीन भी बिगड़ गई है। इसके ठीक होने में कोई दो-तीन महीने लगेंगे। जब तक चालू नहीं होती तब तक पृथ्वी के नष्ट होने का कोई डर नहीं है। कुल मामला ‘डर’ का ही है और मैं डरना चाहता हूं। आदत जो लग गई है।
खली वाले खेल में मुझे डर ही लगता है और चिन्ता भी होती है। महावीर को पंद्रह-बीस लोगों से भिड़ना होता है। यह खेल ऐसा है कि यहां रेफरी भी सुरक्षित नहीं होता। उसकी भी भयंकर ठुकाई होती है। पहलवान लोग ठांव-कुठांव मारते हैं। मौत का वैसे ही कोई ठिकाना नहीं है। खली भारतभूमि का इकलौते महाबली हैं। वह महफूज रहें ऐसी मेरी शुभकामना है। बाकी सुशील कुमार, राजीव तोमर, जगदीश कालीरमन वगैरह को तो अपन लोग जानते भी नहीं। सुशील भइया की वजह से अब थोड़ा-थोड़ा जानकार हो गए हैं। इसी बात को लेकर एक वरिष्ठ पत्रकार मुझ पर कुपित हो गए। ओलम्पिक से पहले का वाकया है। हुआ यूं कि वह खली को लेकर काफी उत्साहित थे और एक दिन अचानक मेरे मुंह से निकल गया कि 90 फीसद भाइयों को मालूम नहीं कि तीन ऐक्चुअल पहलवान ओलम्पिक के लिए क्वालिफाई कर गए हैं। बस जनाब खेल गए। लगे गियर में लेने का प्रयास करने। मैं जल्दी गियर लगने नहीं देता इसलिए गाड़ी डिरेल होने से बच गई।
भूत-प्रेत से तो सभी डरते हैं। वैसे राखी भी कम डरावनी नहीं हैं। मुझे उनकी बोल्ड बातों और स्टेप से डर लगता है । कमउम्र लड़कियां गुमराह भी हो सकती हैं। एलियन और आकाश गंगा की हलचलों के अपने खतरे हैं। शनि देवता तो छूटे जा रहे हैं। टीवी पर उन्होंने इतना डराया कि बीमारी की हालत में मैं सपरिवार चला गया शनि मन्दिर। वहां भारी भीड़ में किसी ने पर्स मार दिया। पैसे, मकान की चाभी, एटीएम आदि ले उड़ा। वापस जाने के लिए किराया नहीं बचा। माता जी ने कहा कि शनि महाराज ने सस्ते में बचा दिया।
अब देखिए अंक ज्योतिष का कमाल। 08-08-08 को प्रलय होने जा रहा था तो माया सभ्यता की भविष्यवाणी भी कन्दरा में छिपने को कह रही थी। वैसे शून्य से लेकर नौ तक के मूलांक हैं अजीब। कभी कोई खेल कर सकते हैं। 08-08-08 के बाद अब 09-09-09 की बारी है। इसका कुल योग 27 आता है। फिर 2 और 7 को जोड़ देने पर योगफल 9। इस तरह 09-09-09 का योग भी 9। घोर प्रलय। अब 10-10-10 को देखें लगातार तीन 1 कुछ न कुछ संकेत अवश्य करता है। जितनी मर्जी हो डरिए। 11-11-11 में डबल 1 तीन बार। बाप रे बाप! क्या गुल खिलायेगा ये अंकों का महाजाल। अल्लाह जाने क्या होगा आगे?
वैसे, आजकल फेस्टिव सीजन है। लोक तो उत्सवधर्मी है ही। इसलिए टीवी पर इस समय इसी की बहार है। मेरा ‘मंगरुआ’ गरीबी से तंगहाल है। गरीबों को राह चलते ठेंस भी बहुत लगती है। सो, वह तमाम प्रकार से परेशान है लेकिन इस वक्त है मगन। कभी चारपाई पर लेटे-लेटे ‘निबिया के डारि मइया झूलेली झुलनवां’ टेरता है तो कभी होलिका दहन का दृश्य सोचकर रोमांचित हो उठता है। सोच रहा है छोटकी भउजी रहीं नहीं तो अबकी कबीरा किस पर गाऊंगा। वैसे उसकी कई भउजियां हैं। इसलिए छोटकी भउजी का गम कुछ हल्का हो जा रहा है। उसके आगे छठ और हैपी न्यू ईयर है। तत्पश्चात लव यू... लव यू वाला त्योहार वैलेंटाइन डे आ जाएगा। सर...र.... र.... वाले महात्योहार होली का तो मुझे बेसब्री से इन्जार रहता ही है। कुल मिलाकर अभी कई महीने गाड़ी इन्हीं त्योहारों के सहारे सरक जाएगी। बीच में अमर सिंह की ‘चित्थड़-चिरकुट स्टाइल’ राजनीति की खबरों को जिन्दा रखेगी।
मां भगवती सभी का कल्याण करें।

वेद रत्न शुक्ल bakaulbed.blogspot.com

2 comments:

KUNWAR PREETAM said...

wah bhai. kya gajab kalam chali hai.really gr8.
badhai.likhte chaliye, badhte chaliye.
prakash
kolkata

Anonymous said...

बहुत खूब,
शानदार भडास है,
मित्र बधाई स्वीकारें.