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8.10.08

ईसाइयों पर हमला सही या ग़लत?

  • मनोज कुमार राठौर
गिरिजाघरों पर किए जा रहे हमले में हिन्दु संगठनों को दोषी ठहराया जा रहा है, लेकिन यह असत्य है। इन हमलों को यदि गंभीरता से लिया जाए तो इसका जिम्मेदार स्वयं इसाई समुदाय है।
ईसाई समुदाय अंग्रेजों के सिद्वांतों पर कार्य कर रहा है। जिस तरह अंग्रेजों ने भारत देश को शनैः शनैः अपना गुलाम बनाया थाए उसी नीति पर ईसाई समुदाय काम कर रहा है। वह चाहता है कि हिन्दुस्तान को यदि गुलाम बनाना है तो सबसे पहले उसकी जनता का धर्मांतरण किया जाए। पर वह ऐसा करने में असफल हो रहे हैंए क्योंकि यदि वह ऐसा काम करते हैं तो उसका विरोध जनता द्वारा किया जाता है। भारत के हर एक कोने में ईसाई समुदाय बसा है और उसके द्वारा संचालित कई संस्थाएं जनता के लिए काम भी कर रही हैं। पर जब धर्मांतरण की बात आती है तो उसका खामियाजा भी उसे ही भुगतना पड़ता है।


मैं भी ईसाई समुदाय द्वारा संचालित डगलस हाई सैकण्डरी स्कूल से अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की। जब मैं वहां 10वीं कक्षा में पहुंचा तो मुझे ईसाइयों की नीति के बारे में पता चला। हमारी एक अतिरिक्त कक्षा लगती थी, जहां हमें बाइबिल के बारे में बताया जाता था। प्रत्येक रविवार वहां चर्च के कार्यक्रम होते थे। यहां हजारों की संख्या में लोग आते थे। यह प्रक्रिया यूं ही चलती रही, उस समय मैंने अखबार में एक फोटो देखा। वह फोटो किसी ओर का नहीं बल्कि मेरे प्राचार्य महोदय जी का था। जब मैंने वह खबर पड़ी तो पता चला कि वह गोविन्दपुरा स्थित एक चर्च में गये थे। वहां बजरंग दल ने उन पर हमला किया। हमले का कारण था धर्मांतरण। बजरंग दल का आरोप था कि चर्च में धर्मांतरण का काम चल रहा था। मैंने इस बात को अंधविश्वास मानाए क्योंकि कोई किसी का धर्म परिवर्तन कैसे कर सकता है।

भोपाल से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव में मेरे रिश्तेदार रहते हैं। वहाँ एक ईसाई समुदाय का चर्च भी है। मुझे अपने रिश्तेदार से कुछ काम था अतः मैं वहां गया। अपने काम के साथ मुझे अपने प्राचार्य की घटना भी याद आ गई। मैंने वहां स्थित कुछ लोगों से बात की। जिससे मुझे पता चला कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि चर्च के फादर उनका निःशुल्क इलाज और बच्चों को पढ़ाने का कार्य भी करते हैं। लेकिन उन्होंने मुझे एक और बात बताई। वहां के लोगों से कहा जाता है कि आप सब ईसाई धर्म को अपना लो। तब ही तुम्हें ईश्वर की प्राप्ति होगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि ईसाई धर्म इतना नीचे गिर सकता है। कर्नाटक, बैंगलुरु और उड़ीसा के गिरिजाघरों में जब आग लगाने की घटना मैंने अखबार में पड़ी तोए सभी के पीछे एक ही कारण छिपा हुआ थाए धर्म परिवर्तन। इस पर भी मैं ईसाइयों के हित में थाए परन्तु सतना में जो घटना हुई हैए उससे मेरे विचार एकदम बदल गए। सतना में क्रिस्तुकला मिशन हायर सेकंडरी स्कूल में कार्यरत 18 ड्राइवरों को नौकरी से निकाल दिया गया। वहां की प्रिंसिपल फादर वर्गीस ने कहा कि दरअसल स्कूल के पास वाहन नहीं है इसलिए ड्राइवरों को हटाया गया है। पर मामला कुछ और ही था जिसके कारण ड्राइवरों को निकाला गया। सभी 18 ड्राइवरों ने एक जुबान में कहा कि एक दिन फादर वर्गीस हम सभी को सतना नदी पर ले गए तथा सभी को पानी में डुबकी लगाने को कहा और स्वयं ने भी डुबकी लगाई। डुबकी लगवाने के बाद फादर ने कहा कि आज से तुम्हारे माता।पिता मर चुके हैंए तुम मरियम की संतान हो। इस तरह जबरिया धर्म परिवर्तन कराए जाने का ड्राइवरों ने विरोध किया। इस पर बिना कारण बताए स्कूल प्रबंधन ने नौकरी से हटा दिया। इस तरह धर्मांतरण के कई मामले खबरों की सुर्खियां बने। कर्नाटक सरकार और केंद्र सरकार ने इन घटनाओं को रोकने के लिए आरोपियों पर कानूनी धाराएं भी लागू की। पर सरकार इन घटनाओं के कारणों को पता करने पर जोर नहीं दे रही है।ईसाई समुदाय पर हमले के पीछे एक ही कारण निकल कर आता है कि वह लोगों को धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर करता है। ईसाई पर जो हमला हो रहा है वह सही है या गलतए इसका फैसला तो जनता कर ही देती है। यदि ईसाई समुदाय अपनी यह हरकत छोड़ दे तो उन पर ऊंगली तक कोई नहीं उठाएगा।

लोगों के धर्म पर नज़र मत डालो
वरना यूं ही दर्द को सहना पड़ेगा

5 comments:

Anonymous said...

अच्छी और रुचिकर कहानी है.

Anonymous said...

हमारे देश मे सभी धर्म बराबर के हैं। सब एकदूसरे की मार रहे हैं और खुद अपनी भी मरवा रहे हैं।

इसपर हमने भी कुछ लिखा है http://www.shuaib.in/chittha/archives/182

RAJNISH PARIHAR said...

काश आपकी बात हिंदू धरम में पैदा हुए वे लोग समझ पाते जो सारे दिन अपने धरम को कोसते रहते है.....लेफ्ट के एक नेता है सीता राम येचुरी.....जो कहते है की कभी राम हुए ही नहीं ...राम स्र्तु का कोई अस्तित्व ही नही है....अब कोई उनसे पूछे की फ़िर आपका नाम सीता राम कैसे?अरे सिर्फ़ पर्सिधी के लिए ही जीना है तो बाज़ार में नंगे खड़े हो जाओ...बहुत परसिद्ध हो जाओगे.....लेकिन ये इनकी फितरत है ये सुधरेंगे नहीं.....रजनीश परिहार.....

Anonymous said...

मित्र आप शिक्षक हैं, शिक्षा को व्यापार न बनायें, बच्चों में राष्ट्रीयता की भावना डालें न की भेदभाव की,

Unknown said...

"ईसाइयों पर हमला सही या ग़लत?

EKDAM SAHI!