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8.10.08

गांगुली - भारतीय क्रिकेट का एक गौरवशाली इतिहास .........



अपने शर्तों पर खेलनेवाला, आक्रामक कप्तानी, जुझारू बल्लेबाज बंगाल टाइगर ने आखिरकार मीडिया के बननाए हुए दवाब और उम्र का हवाला देकर रिटायरमेंट की घोषणा की



मतलब की निवर्तमान ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ के बाद , ऑफ़ साइड का भगवान् अपने बल्ले को हमेशा के लिए अलविदा कर देगा.......




उम्र का हवाला देकर मीडिया ने जो दवाब बनाया की सौरव जैसा जुझारू खिलाडी भी पुरे साल मैं सबसे ज्यादा टेस्ट रन बनाने के वाबजूद भी संन्यास लेने पर मजबूर हुआ,


खैर हिन्दुस्तानी क्रिकेट टीम को सौरव की कप्तानी और बल्लेबाजी ने जिस मुकाम पर पहुंचाया और जो आयाम दिया उसके लिए पुरा देश सौरव को याद रखेगा......


ऑस्ट्रेलिया के १६ लगातार जीत के सिलसिले से लेकर पकिस्तान को पाकिस्तान मैं हराने तक, इंग्लैंड को नत वेस्ट ट्राफी के फिनल मैं लॉर्ड्स के मैदान पर धूल चटाने से लेकर २००३ के विश्व कप के फाइनल तक पहुंचाने मैं, सौरव के योगदान को कोई भी नही नकार सकता है....


भारतीय टीम जो की एक शांत, भद्र और प्रेशर के आगे झुकने वाली टीम के रूप मैं जानी जाती थी, को सौरव ने अपनी कप्तानी और आक्रमकता से २१ सदी की सबसे जुझारू टीम मैं परिवर्तित कर दिया.....


लॉर्ड्स मैं शर्ट को लहराने वाला सौरव हमेशा ही हमारे दिल मैं रहेगा.......


गांगुली को उसके आने वाले भविष्य के लिए लाखों शुभकामनाएं।





















1 comment:

Anonymous said...

भाई,
दादा का जाना वास्तव में दुखी कर जाता है, जिस मुकाम पर दादा के साथ जैसी घटनाएँ घटित हुई उसके बाद दादा ही था जिसने संघर्स किया, मीडिया के दोगलेपन से भरे रिपोर्टों और चयनकर्ता यानि की जोकरों के समूह इस देश के करता धरता बन जाते हैं, और भुगतना हमेशा कर्तव्यनिष्ठ को पड़ता है,
बहरहाल दादा को भविष्य के भावी कार्यक्रम के लिए धेरक शुभकामना