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20.11.08

सूफी काव्य के अग्रदूत बाबा शेख फरीद

शेख फरीद भारतीय सूफी काव्य के प्रथम और प्रामाणिक हस्ताक्षर हैं। सूफी काव्य के बुनियादी संकल्प शेख फरीद की वाणी में नये उद्बोधन के साथ उभरते हैं। सूफी जीवन दर्शन सामाजिक जीवन के संतुलन पैदा करने वाली जीवन शैली थी। जिसका प्रचार-प्रसार हमें शेख फरीद के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्वमें मिलता है। उत्तरभारत की सूफी परंपरा शेख फरीद के जीवन के दर्शन से केवल प्रभावित ही नहीं रही, बल्कि इसका सही अनुसरण लोक-जीवन में भी मिलता है।
शेख फरीद जीवन के नैतिक मूल्यों की वकालत भी करते हैं तथा इसे आदर्श जीवन का मानदण्ड भी स्वीकार करते हैं। शेख फरीद की वाणी में ऐसे कई पहलू देखे जा सकते हैं। शेख फरीद का जीवन दर्शन केवल किताबी नहीं है, उसमें सही जिन्दगी की वह तस्वीर भी अंकित है जो आलोक-स्तंभ बनकर आस्था के नए स्वरों को जन्म देती है। जीवन की प्रत्येक सच्चाई को शेख फरीद गंभीरतापूर्वक लेते हैं। वे जीवन के धनात्मक मूल्यों के पक्षधर हैं। फरीद की वाणी में मानव जीवन का महाबिम्बविद्यमान है। इस महाबिम्बमें जन्म, शैशव, यौवन और बुढापे का चित्रण बडी खूबसूरती से हुआ है।
वहीं शेख फरीद की वाणी में स्वतंत्र मानव की वह छवि उभरती है, जिसके कारण वह नेक और उमदा इंसान बना हुआ है। शेख फरीद अकाल पुरखपर सौ-प्रतिशत विश्वास करते हैं। रब्बकी रजा उनके लिए अन्तिम फरमान है। वे ज्ञान और क्रिया में केवल विश्वास ही नहीं रखते बल्कि अपनी वाणी में यह भी साबित करते हैं कि भरोसे का खेल हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है। अल्ला की जात पर ईमान रखने वाला व्यक्ति उन तमाम सीमाओं को लांघ जाता है, जिसकी अपेक्षा दुनिया में उससे की जाती है। शेख फरीद की स्थापनाओं में धर्म का असली चेहरा रौशन होता है। इस रोशनी में त्याग, सेवा, भाईचारा तथा जीवन के प्रति गहरी निष्ठा अपना कमाल दिखाती है। इस जागरण में आदमी की वह मनोदशा क्रियाशील होती है, जिसकी वजह से उसका मनोबल मानवीय शक्ति में रूपांतरण हो जाता है।
इसके अलावा फरीद वाणी में यह दास्तान बहुआयामी है। फरीद का अनुभव यथार्थवादी है। फरीद उस परम्परा का तत्काल समर्थन नहीं करते, जिसकी अर्थवत्तायुग के अनुरूप नहीं है। वह चाहते हैं कि परंपरा का सांस्कृतिक सम्प्रेषण सीधे लोक जीवन में हो जिसकी सार्थकता शाश्वत काल तक बनी रहे। शेख फरीद की वाणी में ऐसे जीने के कई साक्ष्य मिलते हैं। फरीद वाणी के विकास में यह विमर्श मूल्यवान भी है तथा सम्पूर्ण अखण्ड भी। वास्तव में शेख फरीद के जीवन दर्शन की यही सम्भावना और गहराई है। शेख फरीद की वाणी में हिन्दोस्तानभी हािजर और पंजाब भी। पंजाबी जन-जीवन के सूक्ष्म ब्यौरों से फरीद वाणी नई साहित्यिक विरासत को जन्म देती है।
दर्शन मीमांसा के कई महत्वपूर्ण संदर्भ फरीद वाणी में नव चेतना के साथ दर्ज हुए हैं। सूफी दर्शन का सरलीकरण फरीद वाणी की विशेषता है। कठिन से कठिन सूफी अनुभव फरीद वाणी में सरल बन जाता है। इसीलिए ओशोफरीद वाणी को शीतल-छांग की संज्ञा देते हैं। फरीद की वाणी में आनंद और सुख के श्लोक एक ऐसा सच्चा वातावरण पैदा करते हैं, जिसमें क्षण, दिन-रात तथा पूरा परिवेश नई दिशा को ग्रहण कर लेता है और मौन की करामात अन्तर्तममन पर बरस जाती है। यही विचार फरीद वाणी का केन्द्र है। फरीद वाणी की अन्त‌र्ध्वनियांसम्पूर्ण सत्य का उद्घाटन कर देती है।
छायारूपइस जगत को उस महान् अस्तित्व से जोड देती है, जिसका सरोकार उस सत्य से होता है जिसकी असलियत अंधेरे और प्रकाश के संघर्ष में जन्म ले रही होती है। शेख फरीद चाहते हैं कि उन अंधेरे रास्तों को सदा के लिए प्रकाशमान बना दिया जाए जो हर आदमी को स्वतंत्रता, आत्मविश्वास और सौहार्द से वंचित रखता है। फरीद चाहते हैं कि सच्चा इन्सान खुदा पर विश्वास रखे, अपने सत्य को पाने का विश्वास करे तथा तार्किक और बौद्धिक उलझनों में न उलझकर गहन समक्ष से उस सत्य को प्राप्त कर ले, जिसके लिए वह भटक रहा है। फरीद वाणी का यही जीवन्त महान् उपदेश है। बाबा शेख फरीद के पास भी लोगों को अजर और अमर बनाने की नैतिक शिक्षाओं की महान औषधि थी। यह औषधि मन और तन निरोग कर देती थी।
यही कारण है कि शेख फरीद का फलसफा पूरे हिन्दोस्तानमें भाईचारे के सन्देश के साथ फैला।
शेख फरीद समाज में ऐसा माहौल बनाना चाहते थे, जिसके माध्यम से नये दर्शनशास्त्र की मिसाल कायम हो सके। उन्हें यह अहसास था कि दुनिया में रहने वाले रब्बके बन्दे तभी शान्ति से रह सकते हैं यदि प्रेम की सरिता अविरल बहे। मन की तडप, प्रभु को पा लेने की इच्छा तभी स्थिर हो सकती है यदि सच्चे ईश्वर के प्रति न खत्म होने वाली ललक पैदा हो जाए। पंजाबी साहित्य में जो दीपक शेख फरीद जी ने बिरहा की अग्नि वाला जलाया, वह आज तक पंजाबी काव्य में अपनी आभा बिखेर रहा है। शेख फरीद भारतीय भाषाओं में बिरहा के भी पहले कवि हैं। पंजाब का यह सौभाग्य है कि हर बरस बाबा शेख फरीद का पर्व श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। बाबा शेख फरीद को याद करने का अर्थ है, उस सांझे भाईचारे को याद करना, जिसके कारण पंजाब न हिंदू और न मुसलमान बल्कि वह तो महान विरासत है जिसके कण-कण में बाबा शेख फरीद का महान संदेश छुपा हुआ है। बाबा शेख फरीद ने पंजाबियों को भरे-पूरे जीवन की जांच सिखलाई।
प्रो. हरमहेन्द्रसिंह बेदी

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