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1.11.08

एक और रंग दे बसंती .......

राहुल राज के साथ मुंबई में जो कुछ हुआ वह मुझे एक फ़िल्म रंग दे बसंती की याद दिला गया। राहुल का मकसद किसी को मरना नही था । वो अपनी बात मुंबई पुलिस के सामने रखना चाहता था। माना राहुल ने तरीका ग़लत अपनाया लेकिन किसी मजबूर और अकेले इंसान की बात आज सुनता कौन है, ऐसे में यदि कोई राहुल या रंग दे बसंती के डीजे की तरह उग्र हो जाए तो ये गलत नही । आख़िर ऐसा ही तरीका तो भगत सिंह ने भी अपनाया था , खैर जैसा फ़िल्म में डीजे और उसके साथियों के साथ हुआ वही राहुल के साथ मुंबई पुलिस ने किया। लेकिन ना तो फ़िल्म का डीजे अपनी बात रख पाया था और ना ही असल जिन्दगी का राहुल अपनी बात रख पाया । दोनों को मिली मौत ......संभव है फिल्मी डीजे की तरह राहुल की भी मौत राजनेताओ के इशारे पर ही की गई हो....पर ज़रा सोचिए जिस तरह महारास्ट्र के गृहमंत्री, राज ठाकरे और सामना ने राहुल को बिहारी गुंडा कहा ,क्या वो सही था? गुंडा तो वे लोग हैं जो महारास्ट्र में हिंसा को हवा दे रहे हैं।

3 comments:

hamara samaj said...

bhai sahab aapne bahut hi badiya likha hai

प्रकाश गोविंद said...

सही कहा आपने अखिलेश जी !

एक आम आदमी और क्या कर सकता है ? या तो अखबार और टी वी देखकर अफ़सोस करता हुआ च च च कर सकता है या फिर पनवाड़ी की दुकान पर खड़ा होकर दर्शन बघार सकता है ! अरे संवेदनशील आदमी इस सिस्टम के ख़िलाफ़ आख़िर क्या करे ? पोलिस उनकी, गुंडे उनके , सरकार का मूक समर्थन उन्हें ! राहुल राज और सुखदेव - भगत सिंह - राजगुरु- यतीन्द्र नाथ- आजाद में क्या फर्क है ?

हम सबके अन्दर एक राहुल राज बैठा होता है ! जिसे हम कभी बाहर नही निकाल पाते ! कभी हमारी कायरता आड़े आ जाती है , कभी परिवार आड़े आता है !
राहुल राज एक पढ़ा लिखा युवक था, खाते पीते मध्यमवर्गीय परिवार से था ! उसके भी कुछ अरमान थे ,,,,सपने थे ! अपने कैरियर को बनाने और संवारने की चाहत थी , जैसी आम युवा वर्ग की होती है !
राहुल राज कोई छुटभैया या बदमाश नही था, न ही उसका किसी भी तरह का कोई पुलिस रिकोर्ड था ! लेकिन मुम्बई की स्काँटलैंड पुलिस ने राहुल राज के साथ ऐसा सलूक किया मानो उन्हें असली वीरप्पन अब दिखायी दिया हो ! गौरतलब है कि राहुल राज ने बस में किसी को बंधक भी नही बनाया था , न ही किसी को घायल किया था , मोबाईल से बात कराने की बात न मानने पर सिर्फ़ एक हवाई फायर किया था ! बस ठाकरे के पिट्ठू पुलिस वालों को बहाना मिल गया बहादुरी दिखाने का ! अरे मराठा शूरवीर पुलिस वालों अगर वो आतंकवादी होता तो आरडीएक्स बांधकर राज ठाकरे के पास जाने की कोशिश करता !

लोग जीविका के लिए कहाँ नही जाते ......... सात समुन्दर पार तक जाते हैं ! आज भारतीय समुदाय कहाँ नही है ! अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, न्यूजीलैंड, कनाडा ...... जैसे देशों में बड़ी तादाद में भारतीय विद्यमान हैं (इनमें मराठी समुदाय भी है )! यहाँ अपना ही देश बेगाना हो रहा है !
एक बाप के अगर दस बेटे हैं तो क्या सबका विकास एक समान होता है ? अरे कोई आगे निकल जाता है , कोई थोड़ा पीछे रह जाता है ! ऐसे ही ये राज्य भी देश के बेटे ही तो हैं ! कोई राज्य अगर तरक्की नही कर पाया या कम विकसित रह गया तो इसके बहुत से सामाजिक, भौगोलिक, राजनीतिक, ,,,,,वगैरह..वगैरह कारण हो सकते हैं !
आज अगर महारास्ट्र में सुनामी जैसा तूफ़ान अथवा भूकंप आ जाए तो मराठी समुदाय क्या रोजी रोटी के लिए देश के अन्य राज्यों में नही जायेगा ?

कोई कारण न भी हो तो भी हमारा संविधान देश के नागरिकों को कहीं भी आने जाने की छूट है ये किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार है ! देश के संविधान से खिलवाड़ करने वाला देश द्रोही होता है ! देश द्रोही की सज़ा क्या होनी चाहिए ???????

प्रकाश गोविंद said...
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