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21.11.08

मुंबई एटीएफ ने साध्वी से पूछा- क्या तुम कुंवारी हो?

आतंकवादी बताकर गिरफ्तार की गई साध्वी प्रज्ञा को यातना देने में एटीएस ने तमाम हदें पार कर दी है। साध्वी से पूछे गए सवालों में इंसानियत और मर्यादाओं को तार तार करने वाले सवाल भी पूछे गए। उनसे पूछा गया कि क्या वे कुंवारी हैं ? आश्चर्य इस बात का है कि अर्ध्दनग्न नृत्य करने वाली टीवी और फिल्मी अभिनेत्रियों के आपसी झगड़ों और स्वार्थों की लड़ाई में देश का महिला आयोग बयान जारी करता है और इन अभिनेत्रियों से मिलकर उनके साथ ग्रुप फोटो खिंचवाता है, जबकि एक साध्वी जिससे अभी पूछताछ हो ही रही है उसे हर तरह से प्रताड़ित किए जाने के बावजूद महिला आयोग ने चुप्पी साध रखी है।
कश्मीर में आशिया अंदरावी नामकी महिला कट्टर इस्लामी संगठन दुख्तराने मिल्लत की अध्यक्ष हैं। उन पर अमेरिका ने आरोप लगाया था कि श्रीनगर के एक बम धमाके में उनके संगठन का हाथ था। जिसमें एक पत्रकार मारा गया था। भारतीय गुप्तचर एजेंसियों ने उन पर हवाला से पैसा लेकर जिहादी आतंकवादियों को देने का आरोप लगाया और पोटा के अंतर्गत जेल भी भेजा देश के खिलाफ और आतंकवादियों के समर्थन में काम करने वाली इस महिला को जेल में वे तमाम ऐसो आराम और सुविधाएं दी गईं और बाद में छोड़ भी दिया गया। दूसरी ओर साध्वी प्रज्ञा पर अभी तक कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। लेकिन उससे पूछताछ के नाम पर नैतिकता, कानून और बेशर्मी की तमाम हदें पार की जा रही है। आखिर महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास को यह सब दिखाई क्यों नहीं देता, या वे भी पूर्वाग्रह से ग्रसित है।

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भइया,दिखायी देता है सब दिखता है लेकिन नहीं देखना जाओ क्या उखाड़ लोगे तुम सब साले कीड़े कहीं के(अगर गिरिजा बाई ऐसा सोचती हैं तो क्या?)
जय जय भड़ास

Anonymous said...

भइये,
बड़ी तकलीफदेह है, चाहे बाटलाकाण्ड हो या साधवी और सेना. जब जब देश के गुनाहगार सामने आते हैं तो इनके रक्षक कुकुरमुत्ते की तरह भी सामने आते हैं, लोग और लोग क्या सभी जानते हैं की जितने भी धर्मगुरु हैं उनकी सच्चाई क्या है वास्तविकता क्या है, धर्म का जामा ओढ़कर लोगों में वैमनष्यता का बीज रोपने वाले ना तो मुल्ले आम आदमी के हितैषी हैं और ना ही पोंगा पंडित, मगर चीख पुकार और चिल्ल पों करने वाले इन तमाम लोगों को अपने अपने जात पात और धर्म का मसीहा साबित करने पर तुले हुए रहते हैं.
साधवी पर सुर में सुर मिलाकर भाजपा वालों ने गीत गया तो बाटला हॉउस काण्ड पर सपा के साथ कोंग्रेसी सुर में सुर मिलते नजर आए. ये वो चूतियों की जमात है जिसे वास्तव में देश से कुछ नही लेना. आम आदमी से कुछ नही लेना.
क्या आपने कभी या इन तमाम लोगों ने कभी समय की मार से पीडित लोगों के बारे में लिखा, पढ़ा, या इन चूतियों की जमात ने कुछ कहा, नही.
ऐ देश के रखवाले जिस दिन आम जन के लिए सड़क पर आओगे तब किसी के बाड़े में लिखना पढ़ना या बोलना, साधवी हो या अफजल. देश को आतंक के निशाने पर लाने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए.
जय जय भड़ास