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4.11.08

'' द अनसंग हीरो '' को आखिरी सलाम

''सर्जरी हुई, कुछ चोटे आई और शरीर ने कहा थम जाओ।'' भारत का ये जम्बो जेट बतौर खिलाड़ी क्रिकेट को अन्तिम सलाम किया और भारतीय क्रिकेट का एक और अध्याय ख़त्म हो गया।अंतर्राष्टतीये क्रिकेट में अपने आगमन के साथ ही कुंबले ने क्रिकेट जगत को जिस तरह चमत्कृत करना शुरू किया , उससे साफ जाहिर हो गया था की वो महज एक खिलाड़ी नही बल्कि उनका पदार्पण ही इतिहास निर्माता के रूप में हुआ था।
१३२ टेस्ट .....६१९ विकेट और २१७ वोनडे....३३७ विकेट ..... उनकी सफल गेंदबाजी की कहानी बयाकरने के लिए काफी है। कुंबले को अपनी प्रतिभा साबित करने के लिए कभी पिच का मोहताज़ नही होना पड़ा। लेगी कुंबले भी गेंद को हवा में लहराने की बजाय उसे पिच से स्पीड देने में एक्सपर्ट मने जाते थे। १८ सालके लंबे करियर में कुंबले ने अपनी टॉप स्पिन, गुगली, फ्लिपर, और फ्लाईट से दुनिया के दिग्गज बल्लेबाजों को अपनी फिरकी के जादू से चकमा देते रहे।
मुझे नहीं मालूम मुझसे कितने प्रतिशत लोग सहमत होंगे लेकिन परफेक्ट टेनर को इस टाइटिल से नवाजने में मुझे कोई गुरेज़ नहीं की वे भारतीय क्रिकेट के अनसंग हीरो हैं। कोटला के सुलतान का पदार्पण उस दौर में हुआ जिस समय भारतीय रिच्केट का भगवान् सचिन तेंदुलकर को माना जाता है। बेशक क्रिकेट अगर धर्म है तो सचिन भगवान्।लेकिन किसी ने सोचा की कुंबले भी गेंदबाजों के भगवान् हैं। जो अपने कद से बड़े कारीगर हैं और अपनी इस कारीगरी से हर भारतीय के चेहरे पर हमेशा मुस्कान बिखरते रहे हैं। लेकिन अफ़सोस जितनी तबज्जो उन्हें मिलनी चाहिए थी वो मुकम्मल जगर उन्हें नहीं दी गई।
इस अनसंग हीरो की सबसे बड़ी विशेषता रही है क्रिकेट के प्रति उनका समर्पण, जुझारूपन, अधिक से अधिक विकेट लेने की भूख और नेवर गिव अप वाली फाइटरकी छवि। फिल्ड में उनकी एकाग्रता और कठिनाइयों को बगैर, कोई भावना दर्शाए मुकाबला करने की नजीर हमेशा कबीले तारीफ रही है। हाथ की उंगलियो में ११ स्टिचेस या फ़िर जबडा टुटा हो , उन्होंने हमेशा विरोधी टीम को नेस्तनाबूद कर अपनी जीवटता का परिचय दिया है।
गेंदबाजों का सपना अगर जम्बो जैसा बनना है तो कौन कहता है की उन्हें अपने रोल मॉडल के लिए सपना नहीं देखना चाहिए। हर कोई इस उचाई तक पहूचने का सिर्फ़ सपना ही देख सकता है।
भारतीय क्रिकेट में अनिल राधाकृष्णन कुंबले ने जिस लकीर को अपने बूते खिचा है उस रिकार्डो के हिमालय को पार करने के लिए गेंदबाजों के घुटने घिस जायेंगे। कुंबले संन्यास लेकर आगे बढ़ गए हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम अब भी वहीँ ठहरी हुई है की कुंबले की जगह कौन लेगा। कौन हारे हुए मैच को जीत में परिवर्तित करेगा। सच कहा जाए तो कुंबले का कोई substitute नहीं है।'Action speak lauder than voice' को fallow करने वाले कुंबले को मैंने अनसंग हीरो कहा है।
जम्बो जेट को आखिरी सलाम..... ।

2 comments:

राजीव करूणानिधि said...

खूब कहा आपने समीर...मै आपकी भावनाओ की क़द्र करता हू... कुंबले एक ऐसे हीरो थे जिनकी याद हमेशा हमारे दिल में ताज़ा रहेगी... सबका समय होता है... और कुंबले का भी समय था... उनका समय निकल चुका है ...

saffaar.blogspot.com

कुमार संभव said...

kumble ka jana wastao mea ek yug ka ant hai. Maen aapne bachpan se unhe khelte hua dekh kar bada hua. kabhi bhi jeetni prashansh unhe milni chahiyea utne unhe nahi mili. unka sanyas lena mujhe dukh hua.