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2.11.08

हे ईश्वर......कहाँ हो.....???


....ईश्वर तो यकीनन है......एक बार की बात है इश्वर अपने लिए एकांत खोज रहा था....मगर अनगिनत संख्या में मानव जाती के लोग उसे एकांत या विश्राम लेने ही नहीं देते थे.....नारद जी वहां पहुचे...ईश्वर का ग़मगीन चेहरा देख,परेशानी का सबब पूछा....कारण जान हसने लगे ...ईश्वर हैरान नारद बजाय सहानुभूति जताने के हँसते हैं....नाराज हो गए....तो नारद ने उनसे कहा "भगवन,आदमी बाहर ही आपको खोजता रहता है..अपने भीतर वो कभी कुछ नहीं खोजता...आप उसीके भीतर क्यों नहीं छिप जाते....ईश्वर को बात पसंद आ गई....तब से आदमी के भीतर ही छिपा बैठा रहता है... और एकाध इक्का-दुक्का आदमी ही उसकी खोज में अपने भीतर उतरता है...ईश्वर भी खुश...आदमी भी खुश....

1 comment:

Anonymous said...

बहुत खूब, सत्य कहा मित्र आपने.