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11.11.08

क्या मेरी पहेली अधूरी ही रहेगी?

एक तस्वीर का साथ प्रश्न किया था, तो क्या गुनाह कर लिया, इतने सारे पत्रकार, धाँसू धाँसू पत्रकार, पढने वालों की ये जमात बड़े से लेकर छोटे तक की जमात, मगर किसी ने मेरे प्रश्न का उत्तर नही दिया, मेरे पहेली को न बुझा।
ये पहेली नही थी मित्रों बल्की हमारे लोकतंत्र का आइना था, आपने उत्तर ना बता कर अपनी तस्वीर आईने में देखी है, और नि:संदेह अपने तस्वीर से रूबरू हो गए होंगे।
बहरहाल ये अनुत्तरित प्रश्न एक बार फ़िर से आपके सामने है, कुछ टिप्स का साथ.......
शायद इस बार आप एक बार फ़िर से उत्तर देने का प्रयास करें और सफल भी हों?
ज्यादा नही सिर्फ़ इतना की इन्होने सुप्रीम कोर्ट में रिट दाखिल किया, और कोर्ट ने, सुप्रीम कोर्ट ने उस रिट पर याचिकाकर्ता द्वारा वापस लेने की बात कह रिट खारिज कर दी, जबकी याचिकाकर्ता को कोर्ट में प्रवेश तक नही करने दिया गया।
क्या ये अपराध नही है? और क्या इस अपराध में कोर्ट बराबर की शरीक नही है?
क्यौंकी जिस न्यायधीश ने इस रिट को खारिज किया बाकायदा सरकार द्बारा पुरस्कार से नवाजे गए। यदि पता हो तो उस पुरस्कार का नाम भी बता दें।

2 comments:

Amitraghat said...

बिल्कुल सही लिखा है रजनीश भाई बड़े बड़े सच्चाई के पैरोकार बने ndtv स्टार न्यूज़ किसी ने भी इस मामले को नहीं उठाया जो इस बात को साबित करता है की मीडिया भी उन्ही मसलों को उठाती है जिसमे उनके आकाओं को फायदा पहुंचे

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

रजनीश भाई,चाहे कितने भी टिप दे लीजिये बल्कि हम तो कहते हैं कि जब आप इनके पूरे परिचय के साथ भी सम्पूर्ण रामायण लिख देंगे तब भी ये साले मुंहचोर चूं तक नहीं करेंगे और हरामी के पिल्ले लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर टांग उठाते रहेंगे। ये पत्रकार नहीं हैं लालाजी के समलैंगिक रखैल जैसे कुछ हैं(साला सही शब्द ही नहीं मिल रहा इनको गरियाने के लिये)
जय जय भड़ास