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30.12.08

भाड़ में जाए मुंबई कांड हम तो झूम के मनाएंगे नया साल

मुंबई में हमला क्या हुआ लोगो ने दुनिया भर का नाटक खड़ा कर रखा है। महानगरो में लोगो ने तय किया है कि नया साल नही मनाएंगे। कई फिल्मी कलाकार और राजनेताओ के साथ बड़ी तादात में बड़े होटल और रेस्टोरेंट नया साल नही मनाएंगे। लेकिन हम तो झूमके नया साल मनाएंगे। पूरे जोश और मस्ती के साथ। और क्यो न मनाये ? आख़िर ऐसा क्या हो गया कि उत्साह ही छोड़ दे। और वह भी पहली बार। आख़िर राजनेताओ और फिल्मी कलाकारों ने आम लोगो कि किस घटना पर उत्सव मानना छोड़ा है। हम सिर्फ़ इसलिए उत्सव छोड़ दे कि यह हमला पूजीपतियों पर था। देश में महीने भर से मामला इसलिए ताना जा रहा है क्योकि पहली बार वह लोग निशाना बने है जो हमेशा शीशे में बैठ कर दुख व्यक्त किया करते थे। आम लोग मरते रहे उनका उत्सव और आनंद कभी कम नही हुआ। लेकिन यह हमला उनपर है इसलिए सारा देश उत्सव छोड़ दे। हम तो नही छोडगे भाई। और इन लोगो ने हमारे लिए कब छोड़ा ??? जो हम छोडें ?
कारगिल में देश के वीर सपूत मारे गए किस राजनेता ने उत्सव छोड़ा ? बिहार में हर साल हजारो लोग बेघर हो जाते हैं। त्रासदी का शिकार होते हैं किसने उत्सव छोड़ा ? जयपुर , अक्षरधाम, दिल्ली, मालेगांव इसे हजारो बम ब्लास्ट और मारे जाने वाले लाखो आम व गरीव आदमी और कोई उत्सव नही रुका। जिन्दगी ज्यो कि त्यों सामान्य रही। फ़िर इस हमले को क्यो इतना ख़ास बनाया जा रहा है। सिर्फ़ इसलिए क्योकि इसमे शिकार होने वाले सारे लोग पूजीपति है। देश के एक धनाड्य व्यक्ति के होटल में हमला हुआ। कुछ अधिकारी मारे गए। सिर्फ़ इसलिए ? आख़िर अधिकारी और सिपाई कि जिन्दी में भी कोई अन्तर है ?
यही कारण है कि हमने तो झूम के नया साल मानाने की ठानी है। ठीक वेसे ही जैसे पहले कि घटनायों के बाद भी मानते रहे हैं। मैं और सारा देश। मेरे लिए आम और ख़ास बराबर हैं। जिन्दगी की कीमत एक है। किसी की भी हो। चाहे वह हेमंत करकरे हो या मूमफली बेचने वाला कोई गरीव या कोई अन्य सिपाई। हमारे लिए बिहार के लोग भी उतने ही ख़ास है जितने मुंबई में मारे गए पूजीपति। जिन पर हुए पहले हमले में सबकी हवा निकल गई। कल तक आम लोगो के चिथड़े हवा में लहराया करते थे तो किसी के कानो में जू नही रेगती थी ? किसी को परवाह नही होती थी। पर अब होश फाकता हैं। जश्न न मानाने कि बातें कि जा रही है। लेकिन हम तो पूरे उस्तव के रूप में मनायेगे नया साल। जैसे पिछली हर घटना को भूलकर कमीनेपन के साथ मानते रहे है। यह सोचकर कि हमारे सारे परिजन बच गए हैं....?
राहुल कुमार

5 comments:

Vinay said...

नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई, नववर्ष आप सबके लिए कल्याणकारी हो।

Vinay said...

नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई, नववर्ष आपके लिए कल्याणकारी हो।

chandan said...

kya umda baat likhi hai bhai aapne. mai aapse 100 pratishat sahmat hu.

अंकुर माहेश्वरी said...

sahi hai ..aur kya ..mahina bhar ho gaya ..neta saale kutton ki tarah pakistan ke peeche pade hai ..
kuch nhi ukhad sakte ,,saala unke pichwade me kuch dum hi nhi hai ..
jo mara ,,wo mara ,,mujhe unke pariwar walon se humdardi hai ..
..
lekin ab kya khak rona ,,pahle to ghar me ghus kar maari .. ab desh kuch nhi kar sakta ,,to phir kis bat ka rona ..
agar dum hota to hum bhi ghar me ghuskar maarte..
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azi ..ab deshwasiyon ko koi fark to nhi padta hai ..so hum to utsav manayege ..
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jab aantakwadiyon ke saath kuch hoga to ..desh ke naam aur jyada utsav manayenge..

Anonymous said...

where you come from!