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25.1.09

राष्ट्रीय महानगर के कार्यक्रम में उमड़ा देशप्रेमियों का सैलाब

कोलकाता. सांध्य दैनिक राष्ट्रीय महानगर की और से आयोजित कवि सम्मलेन एवं अपनी धरती-अपना वतन कार्यक्रम कई मायनों में यादगार बन गया. कोलकाता में हाल के वर्षों में यह ऐसा पहला सार्वजनिक कवि सम्मलेन था जिसमे भाग लेने वाले सभी कवि इसी महानगर के थे. महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने अपने संबोधन में कहा भी, कि यहाँ जब भी कोई सांस्कृतिक आयोजन होता है तो लोग कलाकार का नाम जानने को उत्सुक रहते हैं, लेकिन जब कभी भी कोलकाता में कोई कवि सम्मलेन होता है तो उसका शहर जानने को उत्सुक रहते हैं. इस सोच कि पृष्ठभूमि में शायद यह बात छिपी है कि कोलकाता में शायद अच्छे कवि हैं ही नही. पर राष्ट्रीय महानगर ने इस सोच से मुकाबिल होते हुए इस कवि सम्मलेन में केवल कोलकाता में प्रवास करने वाले कवियों को ही चुना, उन्होंने कहा कि खुशी इस बात कि है कि कोलकाता के कवियों को सुनने पाँच सौ से भी अधिक लोग उपस्थित हुए. वरिष्ठ कवि श्री योगेन्द्र शुक्ल सुमन, श्री नन्दलाल रोशन, श्री जे. चतुर्वेदी चिराग, श्रीमती गुलाब बैद और उदीयमान कवि सुनील निगानिया ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएँ सुना कर भरपूर तालियाँ बटोरीं, साथ ही, डाक्टर मुश्ताक अंजुम, श्री गजेन्द्र नाहटा, श्री आलोक चौधरी को भी मंच से रचना पाठ के लिए आमंत्रित किया गया. सभी कवियों ने अपनी उमड़ा रचनाएँ सुनायीं. देशभक्ति, आतंकवाद और राजनेताओं की करतूतों पर लिखी इन कवियों कि रचनाएँ सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए और बार बार करतल ध्वनि करते रहे. कवि सम्मलेन लगभग दो घंटे चला. कवि सुमनजी और रोशनजी ने जबरदस्त वाहवाही लूटी. मुश्ताक अंजुम कि ग़ज़ल भी काफ़ी सराही गई. गजेन्द्र नाहटा ने कम शब्दों में जानदार रचनाएँ सुनाई. गुलाब बैद कि रचना भी काफ़ी सशक्त रही. कार्यक्रम के दूसरे दौर में देश विख्यात कव्वाल जनाब सलीम नेहली ने भगवन राम कि वंदना के साथ साथ ये अपना वतन..अपना वतन.. अपना वतन है, हिंदुस्तान हमारा है जैसी उमड़ा देशभक्ति रचनाएँ सुनकर श्रोताओं को बांधे रखा. संध्या साढ़े चार बजे शुरू हुआ कार्यक्रम रात दस बजे तक चलता रहा और सुधि श्रोता भाव में डूबे रहे. कार्यक्रम का सञ्चालन राष्ट्रीय महानगर के संपादक प्रकाश चंडालिया ने किया, जबकि कवि सम्मलेन का सञ्चालन सुशिल ओझा ने किया. प्रारम्भ में सुश्री पूजा जोशी ने गणेश वंदना की और नन्हे बालक चमन चंडालिया ने माँ सरस्वती का श्लोक सुनाया. कार्यक्रम में अतिथि के रूप में वृद्धाश्रम अपना आशियाना का निर्माण कराने वाले वयोवृद्ध श्री चिरंजीलाल अग्रवाल, वनवासियों के कल्याण के बहुयामी प्रकल्प चलाने वाले श्री सजन कुमार बंसल, गौशालाएं चलाने वाले श्री बनवारीलाल सोती और प्रधान वक्ता सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के पैरोकार श्री कमल गाँधी के साथ साथ कोलकाता की पूर्व उप मेयर श्रीमती मीना पुरोहित, पार्षद सुनीता झंवर उपस्थित थीं. कार्यक्रम के प्राण पुरूष राष्ट्रीय महानगर के अनन्य हितैषी श्री विमल बेंगानी थे. उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह आयोजन देशप्रेम कि भावना का जन-जन में संचार सेवा के उदेश्य से किया गया है. कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय महानगर के पाठकों की और से राष्ट्रीय महानगर के संस्थापक श्री लक्ष्मीपत सिंह चंडालिया और श्रीमती भीकी देवी चंडालिया का भावभीना सम्मान किया गया. शहरवासियों के लिए इस कार्यक्रम को यादगार बनाने में सर्वश्री विद्यासागर मंत्री, विजय ओझा, राकेश चंडालिया, गोपाल चक्रबर्ती, विजय सिंह दुगर, गौतम दुगर, पंकज दुधोरिया, हरीश शर्मा, राजीव शर्मा, प्रदीप सिंघी, सरीखे हितैषियों का सक्रिय सहयोग रहा. बदाबजर के महेश्वरी भवन में आयोजित इस विशिष्ट समारोह में सभी क्षेत्र के लोग उपस्थित थे. इस अवसर पर राष्ट्रीय महानगर की सहयोगी संस्था अपना मंच कि काव्य गोष्ठियों के चयनित श्रेष्ठ कवि श्री योगेन्द्र शुक्ल सुमन, श्री नन्दलाल रोशन और सुश्री नेहा शर्मा का भावभीना सम्मान किया गया. सभी विशिष्ट जनों को माँ सरस्वती की नयनाभिराम प्रतिमा देकर सम्मानित किया गया. समारोह में उपस्थित विशिष्ट जनों में सर्वश्री जुगल किशोर जैथलिया, नेमीचंद दुगर, जतनलाल रामपुरिया, शार्दुल सिंह जैन, बनवारीलाल गनेरीवाल, रमेश सरावगी, सुभाष मुरारका, सरदार निर्मल सिंह, बंगला नाट्य जगत के श्री अ.पी. बंदोपाध्याय,राजस्थान ब्रह्मण संघ के अध्यक्ष राजेंद्र खंडेलवाल, हावडा शिक्षा सदन की प्रिंसिपल दुर्गा व्यास, भारतीय विद्या भवन की वरिष्ठ शिक्षिका डाक्टर रेखा वैश्य सेवासंसार के संपादक संजय हरलालका, आलोक नेवटिया, अरुण सोनी, अरुण मल्लावत, रामदेव काकडा, सुरेश बेंगानी, कन्हैयालाल बोथरा, नवरतन मॉल बैद, रावतपुरा सरकार भक्त मंडल के प्रतिनिधि सदस्य, रावतमल पिथिसरिया, शम्भू चौधरी, प्रमोद शाह, गोपाल कलवानी, प्रदीप धनुक, प्रदीप सिंघी, महेंद्र दुधोरिया, प्रकाश सुराना, नीता दुगड़, वीणा दुगड़, हीरालाल सुराना, पारस बेंगानी, बाबला बेंगानी, अर्चना रंग, डाक्टर उषा असोपा, सत्यनारायण असोपा, गोपी किसान केडिया, सुधा केडिया, शर्मीला शर्मा, बंसीधर शर्मा, जयकुमार रुशवा, रमेश शर्मा, सुनील सिंह, महेश शर्मा, गोर्धन निगानिया, आत्माराम तोडी, घनश्याम गोयल, बुलाकीदास मिमानी, अनिल खरवार, डी पांडे, राजेश सिन्हा उपस्थित थे .

3 comments:

Anonymous said...

इसे कहते हैं आम के आम गुठली के दाम. अपने मां-बाप को सम्मानित करा दिया और कोई पांच दर्जन चेले-चपाटियों को भी उपकृत कर दिया.धंधा तो चोखा है.आखिर क्यों सम्मानित किया पाठकों ने? क्या योगदान था पत्रकारिता या साहित्य में पिताश्री और माताक्षी का? ऐसे आत्मप्रचार वाले पोस्टों पर पाबंदी लगनी चाहिए.

Anonymous said...

kavita ko tamasha mat banaeeye. bahut kathin hoti hai isaki rah.
name kamane ke liye kuch our kijiye. dhan to aap kamate hi hain. uspar hi dhyan dijiye. bkhashiye kavita ko.
abc

Anonymous said...

kavita ko bakhs dijiye . deshbhakti ka dhakosala bhi mat kijiye.