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25.2.09

बेतुकीः अगला आस्कर फिर ले आओ

भैये देश को पहली बार आस्कर मिला। ये मानो पहली बार इसकी पुरस्कार की जुगा़ड़ हुई। अपने आमिर भाई को पहले ही आस्कर मिल जाता पर उन्हें फिल्म बनाने का सलीका नहीं आया। अरे भाई अंग्रेजों के मात्र गेम में ही उन्हें गंवार हरा दें और वो तुम्हें आस्कर देंगे। लोग कह सकते हैं जिसने कभी मोहल्ला पुरस्कार भी नहीं देखा वह तो यही कहेगा। पर गुरू मुझे मालूम है आस्कर का यह रिकार्ड अपन तोड़ सकते हैं। एक फिलम बनाने की जरूरत है। अबकी फिलम बनानी होगी एक ही भूल। नाम कुछ और भी रखा जा सकता है पर कहानी होगी वर्तमान की और फ्लैश बैक में चलेगा 1947 से पहले का किस्सा। कहानी का उद्देश्य होगा अगर हम आजाद न होते तो देश कैसा होता। यहां स्लमडाग नजर नहीं आते। हर शहर में खूबसूरत इमारतें होती और देश में गरीबी कहीं नजर नहीं आती। फिर फ्लैश बैक शुरू होगा। ब्रिटिश अधिकारी आ रहे हैं और भारतीयों को काम करने का तरीका बता रहे हैं। जिसने काम नहीं किया उसको कोड़ा मारा। दिखाया जाएगा किस तरह से आतंकवादी बेचारे अंग्रेजों को परेशान कर रहे हैं। फिर अंग्रेजों को विकास का मसीहा बताया जाएगा।
फिलम के आखिर में कहा जाएगा अगर भारत आजाद न होता तो विश्व में उसकी जगह कहीं और होती। भारत विकासशील नहीं विकसित देश होता। फिलम में एक-दो गाने भी होंगे। जब ब्रिटिश अधिकारी भारत आ रहे हैं तो एक अच्छा गाना फिट हो सकता है। गाने के बोल नहीं लिख रहा हूं विवाद की वजह से पर कुछ उसका मकसद होगा, हे महानुभाव, आप आओ। आप हमारे भाग्य के विधाता हो। हम लोग आपको चरणों में अपना सर रखते हैं। एक गाना बाद में फिट हो सकता है जिसमें कहा जाएगा
अगर हम आजाद न होते तो अच्छा था
जमाने भर की खुशियां हमें मिल जाती
न कहीं गरीब नजर आते, न बेकार ही दिखते
विकास की नदियां कल-कल बहतीं।
अगर हम आजाद न होते तो अच्छा था।
गाने को आप लोग बढ़ाइये।
फिल्म की कहानी आपको पसंद आई कि नहीं। यह फिलम सच के बेहद करीब मानी जाएगी आस्कर में सब कुछ जीत लायेगी। आमिर भैया का भी सुझाव है, आस्कर जीतना है तो खुद को हारता हुआ दिखाओ। आखिर हम भारतीय हैं, दूसरों की जीत की खातिर हार भी सकते हैं। फिर अंग्रेज कहेंगे, जय हो, जय हो, जय हो।
पंकुल

2 comments:

आलोक सिंह said...

प्रणाम
बहुत सुन्दर कहानी की पृष्ठ भूमि तैयार की है बस एक निर्देशक और निर्माता की आवश्यकता है .
जय बोले अग्रेजो की , फिल्म हिट हो जायेगी .
अगली बार आठ नहीं , सारे पुरस्कार ले के आएगी .

RAJNISH PARIHAR said...

मेरा तो शुरू से .मानना... था की ये एक चाल है भारत को शरमशार करने की...[पढ़े मेरा ब्लॉग]...वरना लगान को कभी का आस्कर मिल .जाता...