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11.2.09

...और गुलाबी चड्ढी के बाद गुलाबी कंडोम

...और फागुन आने के साथ ही गुलाबी रंग फिजा मे छा चुका है और घमासान भी आरम्भ हो गया है। गुलाबी चड्ढी, गुलाबी साडी और गुलाबी कंडोम के बाद अब kaun se गुलाब की बारी है ये तो वक्त ही बताएगा। वैसे वैलेंटाइन डे के नाम पर शुरू किए गए इस तरह के अभियान का भारतीय संस्कृति मे क्या अहमियत है और विरोध या समर्थन का क्या तरीका होता है ये शायद किसी को पता नही है।

मंगलूर मे श्रीराम सेना वालों ने क्या किया और उसका क्या औचित्य था इस पर बहस होने की बजाये न्यायिक प्रक्रिया होना चाहिए। पर वाह रे भारतीय नारिया... क्या जवाब दिया है... विरोधियों को मुहतोड़ जबाब देने के लियो अब पबो को महिलाओ से भर दिया जाएगा... अरे मंत्री साहिबा आपको पता भी है कि भारत के छोटे शहरों मे रहने वालीं कितनी महिलायें पब शब्द से भी परिचित है

और इससे भी बढ़ कर महिला अधिकारवादियों ने नया तरीका ढूंढ़ निकला। मंगलूर में पब में जाने वाली लड़कियों की पिटाई के लिए जिम्मेदार श्रीराम सेना के मुखिया प्रमोद मुतालिक और कार्यकर्ताओं को वैलेंटाइन डे के दिन एक-दो नहीं बल्कि एक कार्टन भर कर गुलाबी चड्डियां तोहफे में दी जाएंगी। गुलाबी चड्डी अभियान के तहत कई शहरों में कलेक्शन पॉइंट बनाए जाएंगे जहां लोग गुलाबी चड्डियां जिन्हें बेंगुलुरु भेजा जाएगा। क्या नया तरीका निकला है विरोध का। पर हमारे यहाँ तो महिलायें और लड़किया चड्ढी उपहार मे देना तो दूर उसे सुखाने के लिए भी सब के सामने नही रखती है। वैसे भी हमारी संस्कृति मे चड्ढी दिखने की नही बल्कि छुपाने की चीज़ है। अब धन्य है अति आधुनिक महिला अधिकारों की पैरोकार कि उन्होंने इतना नया और मौलिक तरीका निकला है विरोध का।

और इससे भी बढ़ कर विरोध मे चड्ढी भेजने वालों को किसी संगठन ने गुलाबी कंडोम भेट करने का अपना मौलिक विचार दिया है। इसके लिए भी बाकायदा वेब साइट बनाई गई है। इसे यहाँ क्लिक कर देख सकते है। अब कौन किसे बताये और क्या समझायें जब सब विरोध करने का ठान लिया है तो, पर एक बात तो है कि विरोध के इन पितरों के बिच मूल मुद्दा तो गायब ही हो गया है... आखिर वैलेंटाइन डे को शालीन तरीके से कैसे मनाया जाए इस पर विचार करे तो ज्यादा अच्छा होता । क्योंकि अब इसे रोकना तो संभव नही है.

3 comments:

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.. वाह... वाह..... जय हो......

आलोक सिंह said...

मुझे एक गाना का ध्यान आता है, गुलाबी और काली रात के बारे में था .कही गुलाबी के चक्कर में सब गोबर न हो जाए . पता नही लोग कब सचेत होंगे ..

RAJNISH PARIHAR said...

asal me is sab ke peechhe unhi logon ka haath hai jinhone velentine day ko hamaare desh me ek utsav bana diya hai ..jabkikuchh saal pahle tak hum isko jante bhi nahin the.....