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16.2.09

हे ईश्वर !!
मनुष्यता का भला चाहने वाले लोग
इतने सुस्त और काहिल क्यूँ हैं....
जबकि इसी का खून करने वाले
देखो ना कितनी मुस्तैदी से
अपना काम निपटाया करते हैं....!!
हे ईश्वर !!
मनुष्यता....मनुष्यता...और
मनुष्यता की बातें करने वाले
सिर्फ़ बातें ही क्यूँ करते रह जाते हैं....
अगरचे इसी का हरण करने वाले
दिन-रात इसका चीरहरण करते रहते हैं...!!
हे ईश्वर !!
मनुष्यता को सम्भव बनाने वाले लोग
सदा यही क्यूँ सोचते रहते हैं कि
मनुष्यता कायम करना बड़ा ही कठिन है...
जबकि दरिंदगी से इसकी हत्या करने वाले
कितनी सफलतापूर्वक अपना कार्य करते हैं....!!
हे ईश्वर !!
मनुष्य की जान बचाने वाले इतना डरते क्यूँ हैं
कि अपने घर से बाहर ही नहीं निकलते..
किसी की जान बचाने के लिए
अगरचे मनुष्य की जान लेने वाले...
अपनी देकर भी किसी की जान ले लेते हैं....!!
मैं अकसर ये सोचता हूँ कि
मैं किसे कम या बेशी करके आंकू
वो,जो सीधे-सीधे आदमी की जान लेकर
आदमियत को बदनाम करते हैं....
या वो, जो आदमी की बाबत सिर्फ़
बतकही में व्यस्त रहते हैं....और
सेमिनारों में जाम भरते हैं....!!??

2 comments:

Anonymous said...

aaj ke samay ka sach yahi hai, aur aaj ka kya puratan kal se yahi chalta aaya hai ki burai humesha sakriya rahti hai jabki achchai ko humesa apane astitve ko sthapit karne ke liye sangharsh karna padta hai

RAJNISH PARIHAR said...

आज के इंसान को देख कर तो ख़ुद इंसानियत शर्मिंदा है ऐसे में उस इंसान से उम्मीद ही क्या की जाए....ग़ज़ब का लिखा है भाई आपने....आजकल तो किसी से कोई उम्मीद रखना ही बेमानी है...