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7.2.09

वैलेंटाइन डे और प्यार का व्यापार

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेणुका चौधरी के 'पब भरो' आन्दोलन और श्री राम सेना के नैतिक पुलिस का कार्य करने और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सांस्कृतिक क्षरण रोकने और बार बार अपने बयान बदलने के साथ साथ आने वाले वैलेंटाइन डे की तयारी आरम्भ हो गई है
एक तरफ़ श्री राम सेना का कहना है कि वे 14 फ़रवरी को पंडीत और मंगल सूत्र से लैस होकर निकालेंगे और प्रेमी जोड़े को नजदीकी मदिर मे ले जाकर शादी करा देंगेवही दुखतरन--मिल्लत ने वैलेंटाइन डे से सम्बंधित सामग्री नही बेचने के लिए दूकानदारों से अपील किया हैवैसे सारे बरसती मेंढक जाने क्या होता है कि फ़रवरी आरम्भ होते ही टर्राना शुरू कर देते है और महीने के अंत तक फिर गायब हो जाते हैवैलेंटाइन डे हुआ बस एक थोथी लोकप्रियता (बदनाम हुए तो क्या नाम तो हुआ) पाने का चोचला बन जाता है
वैसे अति समर्थन (रेणुका चौधरी) या अति विरोध (श्री राम सेना जैसे अतिवादी) को छोड़ दे तो भी एक बार वैलेंटाइन डे के अस्तित्व और उसका समाज पर पड़ रहे प्रभाव को रेखांकित करना सामायिक होगाऔर समर्थन और विरोध की बात भी मुख्य रूप से बड़े शहरों तक ही सिमित होता है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री को पब भरो आन्दोलन का विचार रखते समय शायद यह बात ध्यान मे भी नही होगा कि भारत मे 80% से भी ज्यादा जनता पबो मे नही जाती है तो महिलाओं को कहा से पबो मे भेजेंगीये तो दिल्ली, मुंबई, बंगलौर और कुछ तेजी से आधुनिक होते जा रहे शहरों की संस्कृति है
चलो फिर वापस वैलेंटाइन डे पर आते हैमै बहुत स्पष्ट रूप से श्री राम सेना जैसे अतिवादियों का विरोध करता हूँपर वलेंटाइन डे के नाम पर हमारे यहाँ जो कुछ चल रहा है उसका भी कही से समर्थन नही किया जा सकता हैपश्चिमी देशो मे जहाँ खुलापन और आधुनिकता के कारन किशोरों को भी स्त्री पुरूष संबंधो के बारे मे जानकारी होती हैपर हमारे यहाँ तो बस अधकचरी जानकारी मिलाती है टेलीविजन और कुछ पत्रिकायों सेऔर आपको बता दे कि वलेंटाइन डे पर सबसे सक्रिय रहने वालों मे 80% पढ़ने या नौकरी करने के कारण घर से बाहर अकेले रहने वाले लडके और लड़कियां होती हैइनमे से भी 75% लड़के लड़किया बस उत्सुकता के कारण बाहर निकल पड़ते हैकिशोरावस्था मे जब ये सब अच्छा लगता है और विचारों कि परिपक्वता नही होती तब सब कुछ सुनहरा दिखता हैमुझे ये कहने मे तनिक भी हिचक नही है कि इस दिन का उपयोग अगर 10% लोग सच्चे प्यार के लिए करते है तो 90% का एक ही मकसद होता है कि किसी तरह सेक्स सम्बन्ध कायम कर लिया जाए
ऐसा भी नही है कि वैलेंटाइन डे जब नही था तब ऐसा कुछ नही होता थाहोता तो तब भी था, पर उसे इस ढंग से स्वीकृति नही मिली थीऔर उस समय इस तरह से सीनाजोरी की भी इजाजत नही थी, इसलिए इसका प्रतिशत भी कम थाआज अगर सर्वे किया जाए कि वैलेंटाइन डे पर कितने जोड़े अवांछित सेक्स सम्बन्ध बनते है तो सच ख़ुद सामने जाएगा.
फिर भी मै यह कभी नही कह सकता कि अतिवादी सही कह रहे है पर रेणुका चौधरी जैसे लोगों को भी सोचना चाहिए और सबसे बड़ी बात हम ख़ुद के गिरेहबान मे झांकना शुरू कर दे कि हम क्या है और हम क्या होने दे रहे है।

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1 comment:

tension point said...

bahut achha likha hai badhayi. is vishay par tensionpoint.blogspot.com bhi dekhen.