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10.2.09

हैं जिंदगी थमी हुई

मैं चलता तो रोज हूँ
पर है जिंदगी थमी हुई
न पा सका हूँ मंजिल अभी
पर चाल है थकी हुई
जिंदगी की तलाश में
हैं साँस भी बिकी हुई
विश्वास नही खुदा पे तो
किस्मत भी है रूठी हुई
पर न कोशिशों का थमेगा दौर
पास मेरे हौसलों की कमी नही
बुरे वक्त भी आते रहेंगे
तो खुशियों की कमी नही
है जिंदगी थमी हुई
है चाल भी थकी हुई
पर कदम न रुकेंगे कभी
हो मंजिल भले ही दूर कहीं

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