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17.3.09

राजधानी की सातों लोकसभा सीटों पर ओबीसी व दलित मतदाताओं की भूमिका निर्णायक

राजधानी की सातों लोकसभा सीटों पर ओबीसी व दलित मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी। तीन सीटों पर पंजाबी मतदाता चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे जबकि नई दिल्ली सीट पर सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। दो सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व दिखाई देता है। परिसीमन के बाद सातों लोकसभा सीटों की जो जातिगत तस्वीर सामने आई है उससे राजनैतिक दलों की मुश्किलें भी इस बार बढ़ गई हैं क्योंकि सभी सीटों पर जातिगत आंकड़े काफी बिखरे हुए हैं।
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद सभी राजनैतिक दल अपने प्रत्याशियों के चयन में जातिगत समीकरणों का भी ध्यान रख रहे हैं। सभी संभावित प्रत्याशियों को जातिगत आंकड़ों में तोल कर देखा जा रहा है। परिसीमन में जातिगत स्थितियां पूरी तरह बदल दी हैं। हालांकि सभी सीटों पर मिली जुली आबादी है लेकिन ओबीसी व एससी मतदाताओं का समीकरण प्रत्येक सीट पर मजबूत दिखाई देता है। वैश्य मतदाता तो पूरी तरह बिखर गये हैं, केवल चांदनी चैक सीट ही एैसी है जहां वैश्य मतदाताओं की संख्या 14 प्रतिशत है, बाकी सीटों पर इनकी संख्या 10 प्रतिशत से कम है। जाट मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या उत्तर पश्चिम सीट पर है जबकि गुर्जर मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या दक्षिणी दिल्ली सीट पर है।

चांदनी चैक सीट

परिसीमन ने चांदनी चैक सीट की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। परिसीमन से पूर्व यह सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट थी और यहां 40 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता थे और किसी भी प्रत्याशी की हार जीत का फैसला मुस्लिम मतदाता ही करते थे लेकिन इस बार इस लोकसभा क्षेत्रा में चांदनी चैक, बल्ली मारान व मटियामहल विधानसभा क्षेत्रा ही मुस्लिम बाहुल्य हैं लेकिन बाकी विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या नगण्य है। मुस्लिम मतदाताओं की कुल सख्या 14 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में यहां मुस्लिम समाज का वर्चस्व परिसीमन से टूट गया है। यहां सर्वाधिक मतदाता ओबीसी व एससी वर्ग से है तथा वैश्य मतदाता यहां निर्णायक स्थिति में हैं। सात विधानसभा क्षेत्रों में वैश्य मतदाताओं की संख्या 15 प्रतिशत से भी अधिक है। वैश्य मतदाताओं के साथ साथ पंजाबी व सिख मतदाताओं की भूमिका को भी यहा नकारा नहीं जा सकता। इन दोनों वर्गो के मतदाताओं की संख्या लगभग 18 प्रतिशत है।

उत्तर पूर्व लोकसभा सीट
उत्तर पूर्व सीट को यदि जातिगत दृष्टि से देखा जाये तो पता चलता है कि परिसीमन के बाद यहां ब्राहम्णों का वर्चस्व खत्म हुआ है। इस सीट में शामिल 9 विधानसभा क्षेत्रा पुरानी पूर्वी दिल्ली सीट से हैं और केवल तिमारपुर क्षेत्रा ही सदर लोकसभा सीट से इसमें शामिल किया गया है। परिसीमन के बाद यह सीट मुस्लिम व ओबीसी बाहुल्य सीट हो गई है। 15 प्रतिशत से अधिक दलित मतदाता भी निर्णायक स्थिति में है। ऐसे में उत्तर पश्चिम सीट पर मुस्लिम, दलित व ओबीसी मतदाताओं का समीकरण किसी भी राजनैतिक दल के लिए नुकसानदायक या फायदेमंद हो सकता है। ब्राहम्ण, पंजाबी, वैश्य व अन्य वर्गो के मतदाता मिलकर भी मुस्लिम,ओबीसी व एससी समीकरण को तोड़ने में कामयाब नहीं होंगे। इस लोकसभा सीट से जुड़े अधिकतर क्षेत्रा उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रा हैं।

पूर्वी दिल्ली सीट

परिसीमन से पूर्व पूर्वी दिल्ली सीट पर ब्राहम्ण मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक थी लेकिन 9 विधानसभा क्षेत्रा अलग हो जाने के कारण अब यहां ब्राहम्ण मतदाताओं की संख्या 12 प्रतिशत हो गई है। मुस्लिम, एससी व ओबीसी मतदाताओं का समीकरण मजबूत है लेकिन इसके सामानान्तर पंजाबी,सिख वैश्य व ब्राहम्ण मतदाताओं का समीकरण भी काफी मजबूत स्थिति में दिखाई देता है। इस सीट में दक्षिणी दिल्ली की ओखला व जंगपुरा सीट शामिल शामिल हो जाने से यहां मुस्लिम मतदाता प्रभावी स्थिति में पहुंच गये हैं। परिसीमन से पूर्व लंबे चैड़े क्षेत्रा के बावजूद यह सीट जातिगत दृष्टि से उलझी हुई नहीं थी लेकिन परिसीमन के बाद यहां जातिगत समीकरण बिगड़ गये हैं।

नई दिल्ली सीट

परिसीमन ने नई दिल्ली लोकसभा सीट के जातिगत समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है। परिसीमन से पूर्व यह सीट सरकारी कर्मचारी बाहुल्य सीट थी लेकिन अब इस सीट में ग्रेटर कैलाश, करोल बाग, पटेलनगर, मोतीनगर, राजेन्द्र नगर आदि पंजाबी बाहुल्य क्षेत्रा शामिल हो जाने से इस सीट पर पंजाबी मतदाता निर्णायक हो गये हैं। पंजाबी व सिख मतदाताओं की संख्या यहां 21 प्रतिशत से भी अधिक है। सरकारी कर्मचारी अब भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी संख्या अभी भी 16 प्रतिशत से अधिक है। ओबीसी व दलित मतदाताओं का यहां भी वर्चस्व है। इन दोनों वर्गो के मतदाताओं की संख्या 30 प्रतिशत से भी अधिक है, इस दृष्टि से ओबीसी व दलितों का समीकरण सभी वर्गो पर भारी दिखाई देता है।

उत्तर पश्चिम सीट

उत्तर पश्चिम सीट पर ओबीसी व एससी मतदाताओं के अलावा ब्राहम्ण व जाट व वैश्य मतदाताओं का वर्चस्व है। नगर निगम में लगभग 11 जाट पार्षद उत्तर पश्चिम सीट से ही हैं। इस सीट में केवल नरेला सीट पूर्वी दिल्ली से शामिल हुई है बाकी क्षेत्रा पुरानी बाहरी दिल्ली संसदीय सीट से ही लिया गया है। दलित मतदाताओं की संख्या यहां 22 प्रतिशत से अधिक व ओबीसी मतदाताओं की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है। मुस्लिम व पंजाबी मतदाताओं की संख्या भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगी। राजधानी की सातों सीटों में परिसीमन से पूर्व करोलबाग सुरक्षित सीट थी लेकिन परिसीमन के बाद एससी व ओबीसी मतदाताओं के बाहुल्य को देखते हुए इस सीट को सुरक्षित सीट बनाया गया है।

पश्चिमी दिल्ली सीट

पश्चिमी दिल्ली दिल्ली के राजनैतिक पटल पर नई लोकसभा सीट है। जातिगत दृष्टि से यह पंजाबी बाहुल्य सीट है। इस सीट पर पंजाबी व सिख मतदाताओं की संख्या लगभग 24 प्रतिशत है। जाट व ब्राहम्ण मतदाता भी निर्णायक स्थिति में हैं लेकिन अन्य छह सीटों की तरह इस सीट पर भी ओबीसी व एससी मतदाता मजबूत स्थिति में हैं। परिसीमन में इस सीट को 7 सीटों बाहरी दिल्ली व 3 सीटें दक्षिणी दिल्ली से लेकर बनाया गया है। इस सीट पर अनाधिकृत कालोनियों की संख्या अधिक होने के कारण मिलीजुली आबादी भी यहां काफी अधिक है जो निश्चित रूप से चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकती है।

दक्षिणी दिल्ली सीट

दक्षिणी दिल्ली सीट जातिगत दृष्टि से बहुत ही उलझी हुई सीट है। यहां 31 प्रतिशत से अधिक ओबीसी मतदाता व लगभग 19 प्रतिशत एससी मतदाता हैं लेकिन गुर्जर समुदाय का इस क्षेत्रा में वर्चस्व है। निगम में इस क्षेत्रा से 12 पार्षद गुर्जर समाज से है और गुर्जर मतदाताओं की संख्या यहां 9 प्रतिशत से अधिक है। हालांकि ब्राहम्ण मतदाताओं की संख्या भी लगभग 10 प्रतिशत है लेकिन चुनावों में कभी भी इस क्षेत्रा के ब्राहम्ण मतदाता एकजुट दिखाई नहीं दिये हैं। पंजाबी व वैश्य मतदाताओं की कुल संख्या 10 प्रतिशत से अधिक है इसके अलावा जाट व यादव मतदाताओं की संख्या भी चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

चांदनी chowk सीट
सिख 3.9 प्रतिशतजाट 0.63 प्रतिशतएससी 16.23 प्रतिशतवैश्य 16.89 प्रतिशतब्राहम्ण 6.98 प्रतिशतपंजाबी 13.57 प्रतिशतमुस्लिम 13.38 प्रतिशतयादव 1.58 प्रतिशतगुर्जर 1.50 प्रतिशतओबीसी 18.83 प्रतिशतअन्य 6.46 प्रतिशत
कुल मतदाता 1376707

उत्तर पूर्व लोकसभा सीट
सिख 1.20 प्रतिशतजाट 3.53 प्रतिशतब्राहम्ण 11.56 प्रतिशतएससी 16.71 प्रतिशतवैश्य 4.87 प्रतिशतपंजाबी 4.66 प्रतिशतमुस्लिम 21.39 प्रतिशतचैहान/राजपूत 2.26 प्रतिशतत्यागी 1.37 प्रतिशतउत्तराखण्डी 2.33 प्रतिशतगुर्जर 7.48 प्रतिशतओबीसी 21.25 प्रतिशतअन्य मिलेजुले 1.42 प्रतिशत कुल मतदाता 1615987

पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट
सिख 3.16 प्रतिशतजाट 0.30 प्रतिशतब्राहम्ण 11.92 प्रतिशतएससी 14.82 प्रतिशतवैश्य 9.63 प्रतिशतपंजाबी 14.35 प्रतिशतमुस्लिम 15.70 प्रतिशतदक्षिण भारतीय 1.26 प्रतिशतउत्तराखण्डी 2.60 प्रतिशतसरकारी कर्मचारी 1.06 प्रतिशतगुर्जर 6.74 प्रतिशतओबीसी 12.45 प्रतिशतअन्य मिलेजुले 6.02 प्रतिशत
कुल मतदाता 1545193

नई दिल्ली लोकसभा सीट
सिख 3.65 प्रतिशतजाट 2.08 प्रतिशतब्राहम्ण 6.28 प्रतिशतएससी 15.80 प्रतिशतवैश्य 8.45 प्रतिशतपंजाबी 16.58 प्रतिशतमुस्लिम 2.24 प्रतिशतदक्षिण भारतीय 1.29 प्रतिशतउत्तराखण्डी 1.66 प्रतिशतसरकारी कर्मचारी 16.31 प्रतिशतयादव 0.52 प्रतिशतगुर्जर 2.21 प्रतिशतओबीसी 14.28 प्रतिशतमिलेजुले 8.65 प्रतिशत
कुल मतदाता 1320293


उत्तर पश्चिम (सु.) लोकसभा सीट
सिख 1.88 प्रतिशतजाट 11.89 प्रतिशतब्राहम्ण 12.24 प्रतिशतएससी 22.05 प्रतिशतवैश्य 10.12 प्रतिशतपंजाबी 6.62 प्रतिशतमुस्लिम 8.86 प्रतिशतयादव 1.95 प्रतिशतओबीसी 20.12 प्रतिशतअन्य मिलेजुले 4.27 प्रतिशत
कुल वोट 1730974

पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट
सिख 9.23 प्रतिशतजाट 8.57 प्रतिशतब्राहम्ण 9.46 प्रतिशतएससी 12.62 प्रतिशतवैश्य 6.44 प्रतिशतपंजाबी 13.30 प्रतिशतमुस्लिम 5.59 प्रतिशतदक्षिण भारतीय 0.88 प्रतिशतचैहान/राजपूत 0.89 प्रतिशतयादव 3.25 प्रतिशतगुर्जर 0.58 प्रतिशतओबीसी 20.58 प्रतिशतअन्य मिलेजुले 8.59 प्रतिशत
कुल मतदाता 1638840

दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट
सिख 1.83 प्रतिशतजाट 5.29 प्रतिशतब्राहम्ण 9.38 प्रतिशतएससी 18.47 प्रतिशतवैश्य 4.40 प्रतिशतपंजाबी 5.29 प्रतिशतमुस्लिम 6.05 प्रतिशतउत्तराखण्डी 1.72 प्रतिशतदक्षिण भारतीय 0.66 प्रतिशतत्यागी 0.31 प्रतिशतयादव 2.33 प्रतिशतगुर्जर 9.04 प्रतिशतओबीसी 31.64 प्रतिशतअन्य मिलेजुले 3.58 प्रतिशत
कुल मतदाता 1491357

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