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17.3.09

जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है....?

ये दुनिया भी अजीब है...भगवन किसी को तो बिन मांगे ही सब कुछ दे देता है,और किसी को लाख कोशिशों के .बाद..भी कुछ नहीं मिलता....!ऐसा ही किस्सा है ..गुड्डी और छोटू का...!कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जब ये बच्चे प्राथना सभा में पुनीश्मेंट नहीं पाते....क्यूंकि इनके पास ना तो ..युनिफोर्म....होती और न ही किताबें ,पेन,पेन्सिल आदि...!हमारे यहाँ सरकारी स्कूल में किताबें तो फ्री मिल जाती है और फीस भी ना के बराबर है...लेकिन फ़िर भी बच्चों को कापियों आदि की जरुरत पड़ती ही है...!कई बार बुलाने पर एक दिन उनके पिताजी ..आए ..जो लगभग अधेड़ उमर एक गरीब आदमी था..जो हमारे कुछ कहने से पहले ही लगभग रो सा पड़ा.....!वो एक दुखी इंसान था..उसकी पत्नी जन्म..से ही अंधी थी.वह किसी तरह मजदूरी करके घर का खर्च चला रहा था....!पत्नी कुछ काम कर नही पाती थी ..सो बच्चों को नहलाने धुलाने से लेकर खाना बनाने तक के सारे काम उसे ही करने पड़ते थे....!इस चक्कर में वो कई बार काम पर भी नहीं जा पाटा...था...सो वो नुकसान अलग से..!.उस की....कहानी.... सुन कर हमारे स्कूल ..का पूरा स्टाफ बहुत शर्मिन्दा हुआ..!उस दिन से हमने गुड्डी और छोटू को उसी रूप में सवीकार लिया...!हम जहाँ तक सम्भव होता उनकी मदद भी करने लगे....!लेकिन ये भी इश्वर को कहाँ पसंद आया..एक दिन आवारा पशुओं ने उनके पिता की जान ले ली...!और वे अनाथ हो गए...उनका एकमात्र सहारा भी छीन गया...!माँ अंधी थी...इसलिए घर का कामकाज भी रुक सा गया....!गुड्डी और छोटू की पढ़ाई भी छूट गई...और हम चाह कर भी कुछ ना कर सके...!...आख़िर ये कैसा इम्तिहान ले रहा था .भगवान् भी..????

3 comments:

imnindian said...

rajnish ji in bachcho ka bhavishya hum jaise log bana sakte hai jaroori nahi hai ki hum, CRY jaisi sanstha kholani pade , hum bhadas ke madhyam se 10-50-100 rupya ikattha kar ke unki padhayi jari rakh sakte hai. waise bhi CRY ka aadha se jyada rupya to a/c, management ka kharcha , PR agency aur natak , drama aur hotel ke prty bill me jata hai. If u wish we all can do.
regards
Madhavi

RAJNISH PARIHAR said...

THANX...vaise hamaara school staff un bachchon ko haadse se ubarne ki koshish kar raha hai...vaise bhi CRY jaisi sansthayen gaanvon me nahi jana chahegi kyunki vahan koi publicity nahin milegi...

Anonymous said...

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semelokertes marchimundui