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4.3.09

एक लम्हा गुजर गया....

एक लम्हा गुजर गया
तेरी यादों में कही खो गया
ये क्या ? तेरी कदमों की

आहट सुन वह डर गया

तेरे कुचे से निकल
एक मुसाफिर किधर गया
एक लम्हा गुजर गया

धुप में जलता बदन
जरा सी छाँव को तलाशता मन
पसीने से लथपथ
दर - दर भटक कर

तुझे घर घर तलाशकर

एक मुसाफिर भटक गया
एक लम्हा गुजर गया

1 comment:

RAJNISH PARIHAR said...

तुझे घर घर तलाश कर...एक मुसाफिर भटक गया.......ये लाइन बहुत प्रभावित करती है..अच्छी रचना लगी ...धन्यवाद....रजनीश परिहार.,बीकानेर..