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23.4.09

क्या है श्रीलंका का तमिल संकट

क्या है श्रीलंका का तमिल संकट
कौन हैं श्रीलंका के तमिल?
श्रीलंका में देश के उत्तर और पूर्वी भाग में तमिल अल्पसंख्यक बरसों से रह रहे हैं. बाद में अंग्रेज़ों ने भी चाय और कॉफ़ी की खेती के लिए तमिलों को यहाँ बसाना शुरू किया.

विवाद की शुरूआत कैसे हुई?
श्रीलंका में सिंहला समुदाय के लोगों की आबादी सबसे अधिक है और ये लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं. ब्रिटिश राज के दौरान सिंहला लोगों में ये असंतोष घर करने लगा कि ब्रिटिश शासक देश में तमिलों को बढ़ावा दे रहे हैं जो मुख्य रूप से हिंदू हैं. बात बढ़ने लगी और 1948 में श्रीलंका की आज़ादी के बाद सिंहला राष्ट्रवाद ने ज़ोर पकड़ना शुरू किया.

तमिल क्यों भड़के?
स्वतंत्रता के बाद सत्ता सिंहला समुदाय के हाथ आई और उसने सिंहला हितों को बढ़ावा देना शुरू किया. सिंहला भाषा को देश की राष्ट्रीय भाषा बनाया गया. नौकरियों में सबसे अच्छे पद सिंहला आबादी के लिए आरक्षित कर दिए गए. 1972 में श्रीलंका में बौद्ध धर्म को देश का प्राथमिक धर्म मान लिया गया. साथ ही विश्वविद्यालयों में तमिलों के लिए सीटों की संख्या भी घटा दी गई.

तमिलों ने क्या किया?
तमिल विद्रोहियों ने देश के उत्तरी हिस्से पर अपना प्रभाव बनाया हुआ है
सिंहला शासकों की नीति के कारण तमिलों में नाराज़गी बढ़ी और उन्होंने देश के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में स्वायत्तता की माँग करनी शुरू कर दी. वे अपने अलग और स्वतंत्र देश की माँग करने लगे. आँदोलन ने हिंसक रूप लिया और तमिल क्षेत्रों में सिंहला सुरक्षाबलों और तमिलों के बीच झड़पें होने लगीं. 1976 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल इलम (एलटीटीई) अस्तित्व में आया.

सरकार का क्या रूख रहा?
1977 में जूनियस रिचर्ड जयवर्धने सत्ता में आए. उनकी सरकार ने तमिल क्षेत्रों में तमिल भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया. उन्होंने स्थानीय सरकारों में तमिलों को ज़्यादा अधिकार भी दिए. मगर हिंसा बढ़ती गई.

बात कैसे बिगड़ी?
1983 में तमिल विद्रोही संगठन, एलटीटीई के अलगाववादियों ने सेना के एक गश्ती दल पर हमला कर 13 सैनिकों को मार डाला. इसके बाद सिंहला लोग उग्र हो उठे और उन्होंने दो दिनों तक जमकर हमले किए. हज़ारों तमिल मारे गए और संपत्ति की बड़े पैमाने पर लूट हुई. यहाँ से बात बिगड़ गई. तमिल उत्तर की ओर तमिल प्रभाव वाले इलाक़ों में जाने लगे और सिंहला लोग जाफ़ना के तमिल क्षेत्रों से बाहर निकलने लगे.

भारत ने कब दखल दिया?
राष्ट्रपति प्रेमदासा की 1993 में हत्या हुई
1985 तक श्रीलंका में तो 50,000 शरणार्थी थे ही, वहाँ से लगभग एक लाख तमिल शरणार्थी भारत भी आ गए. 1987 में दोनों देशों में समझौता हुआ कि श्रीलंका सरकार पीछे हटेगी और देश के उत्तरी इलाकों में भारतीय शांति सेना क़ानून और व्यवस्था पर नज़र रखेगी. इस समझौते का श्रीलंका की सिंहला और मुस्लिम आबादी ने जमकर विरोध किया जिसके बाद दंगे भी हुए.

शांतिसेना कैसे लौटी?
1989 में श्रीलंका के दक्षिणी हिस्सों में सिंहला आबादी ने विद्रोह कर दिया और वहाँ के मार्क्सवादी गुट जेवीपी ने भी हड़ताल और हिंसा तेज़ कर दी. सरकार ने जेवीपी से बातचीत की मगर वार्ता नाक़ाम रहने के बाद सरकार ने जेवीपी के लोगों को मरवाना शुरू किया. हज़ारों लोग मारे गए. भारतीय शांति सेना 1990 में वापस आ गई.

हिंसा कैसे बढ़ी?
भारतीय शांति सेना जब श्रीलंका में थी तो एलटीटीई संघर्षविराम के लिए तैयार हो गई थी मगर उसके एक गुट ने एकरफ़ा तौर पर स्वतंत्र राष्ट्र का एलान कर दिया जिसके बाद हिंसा भड़क उठी.शांति सेना के वापस आने के बाद 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई. दो साल बाद 1993 में श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा को भी मार डाला गया.

संघर्षविराम और शांति के प्रयासों का क्या हुआ?
कुमारतुंगा पर एक चुनावी रैली में बम हमला हुआ जिसमें उनकी एक आँख चली गई
चंद्रिका कुमारतुंगा 1994 में देश की प्रधानमंत्री और 1995 में देश की राष्ट्रपति बनीं. कुमारतुंगा ने तमिलों के साथ शांतिवार्ता शुरू की. मगर सफलता नहीं मिली. 1995 में एलटीटीई संघर्षविराम से पीछे हटा और इसके बाद दोनों पक्षों के बीच हिंसा का नया दौर शुरू हुआ. 1999 में एक सभा में बम हमला कर कुमारतुंगा को मारने का भी प्रयास किया गया.
कुमारतुंगा फिर राष्ट्रपति चुनी गईं.

नॉर्वे की क्या भूमिका है?
नॉर्वे सन् 2000 में मध्यस्थ की भूमिका निभाने आया. मगर बात बनी 2002 में जाकर जब तमिल विद्रोहियों और सरकार के बीच एक स्थायी संघर्षविराम पर सहमति हुई. इसी वर्ष सरकार ने एलटीटीई पर लगा प्रतिबंध भी हटा लिया जो कि तमिलों की एक प्रमुख माँग थी. इसी वर्ष थाईलैंड में बातचीत का पहला दौर शुरू हुआ. तब से मार्च 2003 तक बातचीत के छह दौर हो चुके हैं. बातचीत की प्रक्रिया चल रही है और तमिल विद्रोही अलग राज्य की अपनी माँग छोड़कर और क्षेत्रीय स्वायत्तता पर सहमत होने के लिए तैयार हो गए हैं.

1 comment:

mark rai said...

aaj jo sankat utpann ho gaya hai usame waha ki sarkaar aur hamaari sarkaar bhi jimmedar hai ...isaka hal raajnaitik hi ho sakta hai jald koi kadam uthaana padegaa...