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16.7.09

2-क्या लिखूं

2-क्या लिखूं
सोचता हूँ क्या लिखूं .
वतन की वाह में ,,
वतन की वाह में ..
वतन की आह में ..
ऊँची कोठिया लिखूं ,,
या बिकती बेटियाँ लिखूं ,,
मनती पार्टिया लिखूं ,,
या सूखी रोटियाँ लिखूं ,,
उनकी धायिया लिखूं ,,
या माँ की झायिया लिखूं,,
खेत में पड़ी हुई खाईयाँ लिखूं ,,
या बैल संग जुत रही विवायिया लिखूं ,,
किसान की दशा लिखूं ,,
या देश की मनोदशा लिखूं ,,
प्रगति की कथा लिखूं ,,
या दुर्गति की व्यथा लिखूं ,,,
सोचता हूँ क्या लिखूं ,,
वतन की वाह में ,,
वतन की वाह में ,,
वतन की आह में ,,,
उचायियों की होड़ लिखूं ,,
या पश्चिमी अंधी दौड़ लिखूं ,,
वोट की दुकान लिखूं ,,
या जलते मकान लिखूं ,,
उनकी झूठी शान लिखूं ,,
या इन की छिनती मुस्कान लिखूं ,,
चाहो कन्यादान लिखूं ,,,
दहेज़ का विधान लिखूं ,,
जलती बेटियाँ लिखूं ,,
या फिर उड़ती पेटियाँ लिखूं ,,
उनकी तबाहियाँ लिखूं ,,
या इनकी वाह वाहिया लिखूं ,,
और क्या लिखूं ,,
पतन की राह में ,,,
सोचता हूँ क्या लिखूं ,,
वतन की वाह में ,,
वतन की वाह में ,,
वतन की आह में ,,,,

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