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11.8.09

कविता


सत्य का चेहरा
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सत्य का एक चेहरा होता है
रंगहीन भी नहीं होता सत्य

लेकिन झूठ की तरह
हर कहीं नहीं पाया जाता
न ही झूठ में घुल पाता है सत्य
अगर होता है कहीं तो
अलग से दिव्य आलोक लिए
दमकता रहता है सत्य

इधर वर्षों से कहीं
गुम हो गया है सत्य
हम में से कई लोगो ने
अपने जीवन में
कभी देखा ही नहीं
कैसा होता है सत्य

कुछ लोग निरंतर
सत्य की खोज में
भटक रहे है आज भी

जबकि कुछ लोग
दावा कर रहे है कि
उन्होंने खोज लिया है सत्य

जिसे वे सत्य समझ रहे है
हज़ार बार बोला गया झूठ है
रगड़ रगड़ कर
पैदा कि गई चमक है

वे आनन्दित प्रमुदित है
अपनी खोज पर
उन्होंने पा लिया सत्य

हे ईश्वर
उन्हें बता कि सत्य क्या है
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3 comments:

Unknown said...

satya wahi hain jo aapne samjha nahi, satya wahi hain jo aapne jana nahi

Unknown said...

umda rachnaa
sachmuch rachnaa.............

आशीष मिश्रा said...

bevkuf banaya hai aapko donon tippadikaraoton ne...sach to yah hai bhai bahut jaandar rachana hai!