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16.8.09

स्वाधीनता दिवस की बधाइयाँ !!!

भड़ास ४ मीडिया के सभी शुभचिन्तकों, पाठकों,लेखकों को मेरा नमस्कार।!! आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की ढेरों बधाइयाँ !! आज से मैं भी आप सभी के बीच का ही एक अंग बना हूँ इसलिए अपना परिचय देना चाहूँगा....
मैं दिलीप मिश्रा , पेशे से एक पत्रकार....आप को पता ही होगा पत्रकार का मतलब.....पत्रकार वो है जिसका महत्व एक पत्र की ही तरह होता है....कभी वो पत्र माँ बाप को खुशी तो कभी प्रेमिका को रोमांचित करता है...ये वही पत्र है जो दोस्तों को उनके दोस्ती और बचपने की याद दिलाता है....कभी दो बड़े महाद्वीपों को मिलाता है...ये वही पत्र है जो ग़म के समुन्दर में हमें धकेल जाता है....हाँ शायद ये वही पत्र है जिसका कोई मतलब नही होता और कभी उन मतलबों का मतलब ख़ुद मतलब भी नही समझ पाता........ये वही पत्र है जिसे हम कभी माथे से लगाते हैं और कभी पैरों की धुल चटाते हैं....ये वही पत्र है जो विरह के आंसुओं को पी जाता है और कभी समोसे खाने के काम आता है....हाँ शायद उसी पत्र का aakaar हूँ मैं.........शायद मैं उन्ही में से कोई एक हूँ.....
आज स्वतंत्रता का दिन है लेकिन मैं आज के दिन अपनी स्वतंत्रता का नाजायज़ फायदा नही उठाऊंगा......रोज़ तो उठाता ही हु...आज रहने देता हु....
खैर यहाँ पे मुझे कुछ लिखना था...कुछ अरमान हैं मेरे जिन्हें आपको बताना है......कुछ अभिव्यक्तियाँ हैं जिनसे आपको रूबरू कराना है....कुछ ग़म हैं जिन्हें आपसे बांटना है.....कुछ भड़ास है मेरी जिसे निकलना है ........लेकिन सोच रहा हूँ...आज के शुभ दिन पे क्यूँ आप सभी के खुशियों को अनदेखा करूँ....जिन्हें देश की आज़ादी पे खुशी मिल रही है उन्हें फिर से क्यूँ दुखी करूँ....रोज़ तो बेचारे दुखी ही होते हैं.....आज हो लेने दो खुश...कल से तो मेरी ही बारी है......हमारे प्रजातंत्र के भक्षकों.....क्षमा करें रक्षकों की तरह मैं भी उस कतार में शामिल हो जाऊँगा जो आजाद देश की असली खुशियाँ बटोर रहें हैं...मैं भी उन खुशियों को बंटोरने में उनका साथ दूंगा....कल से आप लोगों को पकाऊंगा......और अपनी भड़ास निकालूँगा....
आज आप सभी को हमारे आजाद भारत के स्वाधीनता की बधाइयाँ, गांधी के टूटते सपनों की बधाइयाँ....भगत सिंह और आजाद के अधूरे ख्वाब की बधाइयाँ...
आपका
दिलीप "pranay"

1 comment:

Anonymous said...

बहुत बढ़िया लिखा है.काश मैं भी ऐसा लिख पाता पर मेरी भी दिल की बातें आपने कह दी धन्यवाद!