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2.8.09

भावनाओं से खेल

इमरान बड़ा नाम है.....
इमरान मामले पर कुछ लिखना चाहता हूं कहना चाहता हूं...दरअसल जब आदमी की आर्थिक हैसियत बढ़ती है तो उसकी ज़िम्मेदारी भी बढ़ जाती है, और अगर जनता के बीच की कोई बात हो तो फिर तो सामाजिक दायित्व कहीं ज़्यादा होता है,,,इमरान को फ्लैट नहीं दिया गया या फिर फ्लैट मिला नहीं ये दोनो ही तथ्य हैं...महेश भट्ट वैसे बेहद सधे हुए व्यक्तित्व हैं....लेकिन इस बार वे भी फिसल रहे हैं....शबाना,जावेद और अब इमरान....आखिर क्यों M फैक्टर लोगों का निशाना बन रहे हैं...इमरान जैसे लोगों को इस बात को ज़रूर सोचना चाहिए...नब्बानी ने मना किया या नहीं ये बात किसी भी मीडिया ने नहीं उठाई सिर्फ ज़ी न्यूज़ के नब्बानी को भी पूरा हक़ है...अपनी बात कहने का NDTV तो जैसे देश में भूचाल आगया हो लेकर बैठ गया था...बाक़ी सभी किसी ना किसी रूप में इमरान की ही हां में हां मिला रहे हैं....मामला इतना आसान नहीं या वैसा नहीं जैसा दिखाई दे रहा है...नब्बानी ने क्या कहा कोई नहीं जानता क्यों जाने भई यहां अल्पसंख्यक,दलित,द्रविड़ आदि इंसान के छद्म नामों पे क्या क्या होता है ये हम सभी जानते हैं...इमरान को सलमान से प्रेरणा लेनी चाहिए अपने पर्सनल ग्रिफ को किस तरह से लोकदर्द बनाया जाता है महेश नाम के मास्टर माइंड से कोई सीखे....इमरान को इस अपार्टमेंट में फ्लैट चाहिए....चूंकि फ्लैट वहां मिल नहीं पा रहा तो लेक भावना का मामला बना दो इस बहाने इमरान को अपनी औक़ात पता चलने के साथ ही फ्लैट भी मिल जाएगा...इस पर हंगामा ज़रूर खड़ा होना चाहिए कि भारत जैसे देश में धार्मिक भेदभाव कैसे हो सकता है,,,,लेकिन इस तथ्य पर भी ग़ौर करना चाहिए...अगर ऐंसा भेदभाव होता तो शायद इमरान,सलमान,शाहरुख़,कभी इस नाम से इतने बड़े स्टार नहीं हो सकते थे....सलमान ने ये सब एक प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा जो ये सबित करने के लिए काफी है कि वे कितने ज़िम्मेदार भारतीय है ना कि मुस्लिम...इमरान अपने पर्सनल हित के लिए ऐंसा क़दम उठा रहें है...भारतीय गणराज्य में अनास्था जता रहे हैं....होना तो कुछ इमरान के साथ चाहिए.....बोलना बहुत कुछ है मगर वक्त नहीं....अस्तु

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