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15.8.09

आज 'सूखा दिवस': फिर भी हम आजाद है!

अरविन्द शर्मा
आजादी के मौके पर आज हमें एक तांगे वाले की कहानी याद आ गई। एक तांगे वाले के तांगे में लीडर लोग बैठकर घर से मयखाने जाते थे। आते वक्त वे बतियाते कि आजादी मिलने के बाद सब कुछ बदल जाएगा। गरीब गरीब न रहेगा। गरीबी-अमीरी की खाई पट जाएगी। सबको बोलने की आजादी होगी। जमाखोरों का धन लूटकर गरीबों में बांट दिया जाएगा। लीडरों की बात पर उसे यकीन हो गया। आजादी के दिन उसे लगा कि अब तो मैं आजाद हूं सो चौराहे पर जाकर बढ़ती महंगाई के खिलाफ बोलने लगा- यह कैसा राज। जहां मुझे और मेरे घोड़े को दो मुट्ठी दाल भी न मिले। राज के सिपाही ने यह सुन लिया। वह तांगे वाले के पास गया और उसके दो डंडे लगाकर बोला-अबे ज्यादा चिल्प-पों मत कर। चल भाग यहां से। तांगे वाले को समझ नहीं आया कि यह कैसी आजादी, जहां सच बोलने पर भी डंडे पड़ते हों। यह तो एक कहानी है। लेकिन सवाल आज भी कायम है कि क्या हम आजाद है? विश्व बैंक के मुताबिक, 75 फीसदी भारतीय दो डॉलर प्रतिदिन से कम में जीवन यापन कर रहे हैं। करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर है। फिर भी हम आजाद है। आम आदमी महंगाई के पंजों में जकड़ा हुआ है और सरकार आंखें मुंदे बैठी है। फिर भी हम आजाद है। आपके जहेन में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संख्या पर राष्ट्रपति का बयान भी ताजा होगा कि शासन भ्रष्टाचार में फंसता जा रहा है। यह सच भी है। फिर भी हम आजाद है। याद कीजिए स्वतंत्रता दिवस का वो दिन, जब पूरा देश आजादी की खुशियां मना रहा था और गांधीजी एक कमरे में अंधेरा किए आंसू बहा रहे थे। आखिर क्यों? संसद पर आतंकी हमले की घटना, मुंबई पर 26/11 का हमला, मुंबई में सिरियल ब्लास्ट और न जाने कितने हमले। फिर भी हम आजाद है। वो घटनाएं भी याद कीजिए, कई राज्यों में महिलाओं को निर्वस्त्र करके सरेआम पीटा गया। वो दिन भी याद कीजिए, जब गांधीजी की पुरानी चीजें विदेशों में नीलाम हो रही थी, लेकिन सरकार चुप थी। लेकिन फिर भी हम आजाद है।जिन लोगों ने आजादी के लिए बलिदान किया उन्हीं की औलाद सरकारी खजाना लूटने में जुट गई। उनमें और डाकुओं में फर्क सिर्फ इतना था कि डाकू जान जोखिम में डालकर लूट-खसोट करते थे और ये लोग गरीबों के आंसू पोंछने के नाम पर खजानों से माल सूंतते रहे। देखते-देखते नेताओं की तोंद के घेरे में अप्रत्याशित इजाफा हो गया। जो कल तक हाथ पसारे फिरते थे वे धन्नासेठों के बाप बन गए और आम आदमी का शरीर हड्डियों में तब्दील होता गया। लेकिन फिर भी हम आजाद है.......।
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