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14.12.09

बाल मजदूर ,क्या होगा आगे ?

बाल श्रम को भारत में एक अपराध माना जाता है ,हर साल तरह तरह की बातें की जाती है इसको ख़त्म करने की ,लेकिन कभी इसके मूल में जाकर जानने की कोशिश नहीं की जाती है आख़िर क्या सही में बाल मजदूरी देश में ख़त्म हो गई है ,तो इसके लिए काम करने वाले नुमाइंदे तो बेशक कहते है हाँ हम इसपर धीरे -धीरे काबू पा रहे है ,हमलोग लगातार नए -नए तरीको से इसको ख़त्म करने की कोशिश में लगे है लेकिन जहाँ तक मैं समझता हूँ ये सारी सिर्फ़ लम्बी लम्बी बातें है ?किसी गाने में सच ही कहा गया है "बातें है बातो का क्या "?ये बात पुरी तरह चरितार्थ होती है इस सम्बन्ध में अगर एक आंकड़ो की बात देखे तो देश में २० मिलियन से ज्यादा बाल मजदूर तो कब के थे अब तो लगातार वृद्धि ही हो रही है एक हाल की आंकड़ो की बात करे तो ६० हजार तो केवल कांच और चूड़ी कारखानों में लगे है ,यहाँ इन्हे बहुत ही खतरनाक तरीके से बहुत ज्यादा आग में काम करना पड़ता है अगर और भी बात करे तो सलाई बनाने के कारखाने में लगभग २ लाख मजदूर लगे है ,इसमे अगर विशेषज्ञों की माने तो इनमे से ३५ प्रतिशत १४ साल से कम के है और इनसे प्रतिदिन १२ घंटे से ज्यादा काम लिया जाता है अगर कालीन उद्योग की तरफ़ देखे तो और भी बुरा हाल है ,आईलो की रिपोर्ट को माने तो कालीन उद्योग में ४ लाख २० हज़ार बाल मजदूर लगे है हो सकता है बहुतो को येः आंकड़ा चौकाने वाला लगे लेकिन सही में अगर कहें तो हम वास्तविकता से दूर नहीं जा सकते देश में जानकार लोग भी घरो में नौकर के तौर पे छोटे बच्चो को ही रखते है जबकि उन्हें सारा कुछ पता है आज कहीं भी छोटे शहरों से लेकर बड़े महानगर तक में हर चौक चौराहे ,चाय की दुकानों पर बाल मजदूर आसानी से दिख जायेंगे कारणों की तह में जाने पर पता चलता है की येः कहीं न कहीं मजबूरी में ही यहाँ आते है ,इसी कारण से येः विवश है येः करने को हर सरकार येः दुहाई देती फिरती है की इसे ख़त्म किया जायेगा और उन लोगो को जो इस धंदे में शामिल है उनको दंड दिया जायेगा ,लेकिन घोषणा तो सिर्फ घोषणा ही है अमल तो बहुत ही धीरे -धीरे या होता ही नहीं है सिर्फ सरकार ही नहीं अधिकारी ही नहीं हम और आप जैसे लोग भी बराबर के दोषी है इस चीज़ के लिए हम और आप सब कुछ देखते सुनते हुए भी खामोश रहते है शायद हम इसी में अपनी भलाई समझते है देश अगर आज इस हालात में है तो दोषी सभी है ,हमें ध्यान तो देना ही होगा नहीं तो यह एक गंभीर नासूर बन सकता है

1 comment:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

paapee pet ke liye karataa hoon maai-baap! caahe jel me dalo, yaa maar daalo, kaama to karanaa hi padegaa jiiiiiiii!