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8.12.09

भारत किसका है !

कितने टुकङों में बटा, धरती का इंसान.
मानव जाति एक है, यह प्रकृति-फ़रमान.
सुन प्रकृति फ़रमान, देश-जाति या भाषा.
सुविधा है मानवकी, सुख की जरा ना आशा.
कह साधक जीवन है पूरा, ना टुकङों में.
धरती का इंसान बटा कितने टुकङों में.

देश ना मुस्लिम-हिन्दू का, मानवता का देश.
मानव बनकर सोचना, कोई नहीं विशेष.
कोई नहीं विशेष, राजनीति को छोङो.
समझो मानव, जीवन के तारों को जोङो.
सुन साधक इस देहको समझो जीवन-वेश.
जागृति पाकर जानलो, भारत मानव-देश.

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