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13.12.09

नैनो प्रकरण-२

कोलकाता की सङकों पर अब चौबीस घंटा जाम रहने लगा है. औसतन दो व्यक्ति कार-बसों की चपेट में आकर जान गंवाते हैं. गाङियों की पार्किंग की समस्या है. मेम साहब बन-ठन के बाज़ार जाय, होटल या सिनेमा जाये, तो गाङी को २ – ३ किलोमीटर दूर पार्किंग को जगह मिलती है. एक घंटे बाद ही गाङी निकालना संघर्ष का काम होता है, तब तक आगे-पीछे, दांयें-बायें और गाङियाँ लग चुकी होती हैं. क्षमतासे चार-पाँच गुना वाहन हैं सङकों पर. इससे बिगङने वाला पर्यावरण अलग... जीना मुहाल है. अब लखटकिया नैनो आयेगी!
इतने मे घबरा गये,बारी है नैनो की.
लाखों गाङी आ रही, हालत क्या हो सङ्क की.
क्या हालत हो सङक की,सांसे घुट जायेगी.
खुद टाटा को अपनी नानी याद आयेगी.
कह साधक सीएनजी हो या तेल-पेट्रोल.
निकल जायेगा इंसानों का तेल-पेट्रोल.
पैसा-सत्ता-बाहुबल,राक्षसी गठ-जोङ .
जनता को हैं लूटते, मचा-मचा कर होङ .
मचा-मचा कर होङ ,करोङों वारे-न्यारे ,
टाटा चार सौ करोङ, सिंगुर में हारे .
पूछे साधक हिसाब ,जो पलटा दे पत्ता .
एक-लाख में कार ,गजब है-पैसा-सत्ता . १२

टाटा-बिरला-अम्बानी,पैसे का सब खेल .
देश-समाज सब भाङ में,सत्ता से है मेल .
सत्ता से है मेल,विदेशी-दुश्मनों संग,
पींग बढाते हैं ऊँची,यह देश हुआ तंग .
कह साधक,अब देश बचाये कोई बिरला.
सब पैसे के पीछे पागल टाटा-बिरला . १३.

काली सडक पे दौडती, करती हवा को काला
काल बन रहा आज फिर, टाटा नैनो वाला ।
टाटा नैनो वाला, सड़कें जाम करेगा
सस्ती कार, मगर कोई बोलो कहाँ रखेगा
कह साधक कवि पलकों पर नैनो का झूला
कार के पीछे बच्चों की किलकारी भूला ।

गैरेज में कारें भरी, नई डिजायन नित्य
पलना ऊँचे टंग गया, बिसरा जीवन सत्य ।
बिसरा जीवन सत्य, पदार्थ प्रेमी मानव को
यही दिशा प्रेरित करती आई दानव को ।
कह साधक कवि, कारें जीती, बच्चे हारे
नई डिजायन नित्य, भरी गैरेज में कारें ।

ममता कुर्सी मांगती,खेत का लेकर नाम.
वाम-पंथ को भी मिले सत्ता संग आराम.
सत्ता संग आराम,तो कैसे बात मान ले.
टाटा भले चले जायें,चाहे जगत जान ले .
कह साधक कवि, आज धरा संकल्प मांगती,
बदलो यह दुश्चक्र, कि ममता कुर्सी मांगती.१४.


नैनो प्रकरण-२

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