आज दिल्ली में बैठ कर देश के किसी भी कोने में होने वाली घटनाओ का विश्लेषण कर दिया जाता है लगातार स्टूडियो पत्रकारिता बढती जा रही है आज वैसे लोग उन चीजों को बयां कर रहे है जिनसे उनका कभी तालूकात ही नही रहा है देश में किस जगह की राजनीती कैसी है इसका विश्लेषण तो यहाँ स्टूडियो में बैठे और किसी ऐसे व्यक्ति को बुला लिया जो पार्टी का प्रवक्ता है ,लेकिन अभी तक एक भी चुनाव नही जीत पाया है लेकिन वो जमीनी हकीकत और जनता के वोट देने के कारणों की व्याख्या कर रहा है को बुलाकर कर दिया जाता है क्या यह सही में असली बातो को बता सकेगा ,मुश्किल क्या मुमकिन ही नही है ऐसे के लिए जो जनता के बिच यदा कदा ही जाता है लेकिन हमारे पत्रकार बंधुओ को लगता है की वे जिनको बुला रहे है वो उनके चैनल के लिए अच्छा है आज पत्रकारों की एक ऐसी पीढ़ी आ रही है जिनका मकसद सिर्फ़ चकाचौंदभरी इस दुनिया के साथ चलना है ,वे देश के बड़े शहरों में ही रहना चाहते है ,उनको तो सुदूर इलाके में जाने के बात पर भी अजीब सा होता है सही में अजीब सी हो रही है आज की पत्रकारिता बिहार के २००८ में आए बाढ़ में रिपोर्टिंग करने गए कई पत्रकारों का कहना था की वो दर्जनों बार मार खाने से बचे ,यहाँ पर जहाँ तक मैं समझता हूँ उनकी इस तरह की परिस्थिति से वाकिफ नही होना इसके पीछे एक कारण है ,सही तरह से कभी उन्होंने कभी लम्बी या मुसीबत में घिरे लोगो को नही समझा है दिक्कत तो होगी ही अगर हम परिस्थितियो से वाकिफ नही है ,आज अगर दिल्ली में पढ़ रहे हजारो की बात करे तो हमे मालूम हो जाएगा की स्थिति क्या है ,बहुत ही कम लोग यहाँ से बाहर छोटे जगहों पर जाना चाह रहे होते है भारत को गावं प्रधान देश कहा जाता है क्या इसी को लेकर ?खैर वो अलग बात है यहाँ बात है स्टूडियो पत्रकारिता की हो रही है ,कई लोगो को मैंने सुना है की आज टेलीविज़न में बहुत से ऐसे भी एंकर है जिनको नही होना चाहए उस जगह पर तो बात एक और भी है जिम्मेदार कौन है ?इस प्रश्न के उत्तर देने में ज्यादा लोग दिलचस्पी नही लेते है ?आज की पत्रकारिता जिस स्थिति में चल रही है अगर ऐसे ही होते रहा तो थोड़े दिनों बात मुश्किल हो जाएगी की अगर छोटे जगहों पर कोई घटना हुई तो वहां जाएगा कौन ज्यादा तो नही लेकिन मैं अपने कुछ पत्रकार बंधुओ से यह कहना चाहूँगा की कम से कम जमीनी चीज़ को जरूर जाने और पत्रकारिता को बनाये रखे ?
15.12.09
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2 comments:
patra karita dharam hai, nahin koi vyaapaar.
lekin saare fas gaye,ghar ban gaye bazar.
"पत्रकारिता को बनाये रखे"
BILKUL SAHI KAHA HAI
SANJAY KUMAR
FATEHABAD
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
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