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8.12.09

अखबारी दुनिया का नया पाठ

रोटी तो कुत्ते भी खाते हैं, शराब पिया करो।।

ये दोहा पढ़कर अंदाजा हो ही गया होगा कि किसी शराब प्रेमी ने ये लाइन कही होंगी। जिले की पत्रकारिता के भी बड़े अनुभव होते हैं। एक नशीले शायर ने ये बातें कह दीं। अब मेरा क्या कसूर मैं शराब नहीं पीता हूं। वैसे आफर खूब मिल रहे हैं और मैं सिरे से नकार रहा हूं। इसके परिणाम भी मिले। लोगों ने पूछना बंद कर दिया। मुझे भी अच्छा लगा। कम से कम उनकी बिरादरी से बाहर तो हो गया। जनाब! ऐसे चाहने वाले आपको भी मिल जाएंगे, जब आप जिले की पत्रकारिता में आएंगे। आजकल हमसफर प्याले से बनाया जाता है प्यार से नहीं।।

अब सिर्फ पीने वालां पर ही बात होती है
नहीं पीने वाले की क्या औकात होती है।।

-ज्ञानेंद्र

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