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22.1.10

बिहार कों एक और राहुल राज चाहिए |

सता को बचाने और पार्टी को जीवित रखने के लिए राजनेता कोई भीं काम करते है, बिना यह सोचे की सामाज पर इसका क्या असर होगा ? और कुछ यही किया है महारास्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने, उन्हाने मुंबई के फिर उस दुखती रग पर हाथ रख दिया है, जिस पर राज ठाकरे का पूरा राजनितिक जीवन टिका है और मुख्यमंत्री के जाने अन्जाने में दिया गया बयान कांग्रेस के आंतरिक नीति कों उजागर कर दिया है यह की एक तरफ आतिवादी तत्व राज ठाकरे कों जन्म दो और दूसरी तरफ नया सामाजिक राजनितिक मुधे की बात करो, जो कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी कर रहे है लेकिन मै राहुल समेत पूरी कांग्रेस कों बता देता hu ki उनकी यह दो तरफ़ा नीति बिहार में काम नहीं कर पायेगा बिहार ही वह राज्य है जिसने सबसे पहले कांग्रेस की नीतियों के विरुद्ध आन्दोलन किया और उसकी मनमानी कों रोका, लेकिन मुझे लग रहा है की कांग्रेस अब उस बातो कों भूल गई है और बेचारे राहुल कों लग रहा है कि बिहार कि जनता नासमझ hai और उनकी बातो कों लोग मन लेगे , तो यह राहुल की नासमझी है बेचारे राहुल कों यह सोच लेना चाहिए ki एक बार फिर बिहार में राहुल राज जेसे लोगो का जन्म हो गया है और बहुत जल्दी अगर कांग्रेस इसपर ध्यान नहीं दिया तो एक बार फिर वही होगा , जो १९७४ में हुआ था और मै इस मंच से आज इस बात पर जोर दे रहा हू की अगर देश में राज ठाकरे का जन्म हुआ है तो इसमें उन बिहारी लोगो का हाथ है, जो यह सोचते है क़ि यह sarkar का काम है, जो एक loktantrik देश में uchit है, लेकिन अगर राजनेता इस पर amal n kare तो क्या लोग यह sab dekhte rahege ?
आज मै इस बात कों likh रहा हू तो कुछ लोग ye sochege क़ि यह देश क़ि batware क़ि बात kah रहा है , लेकिन मै इस बात कों बहुत कुछ dekhane के bad kah rah हू जो कुछ लोगो कों galat लग saqta है और अगर jin लोगो कों galt lge तो मै क्या कर saqta हू , यह एक बिहारी क़ि सोच है

1 comment:

अंकित कुमार पाण्डेय said...

हमे आपका लेख अत्यंत अच्छा लगा और हमारी भावनाओं के अनुरूप भी , परन्तु सबसे पहले हम यह कहना चाहेंगे की यह केवल बिहार नहीं अपितु पुरे हिंदी क्षेत्र की समस्या अहि तो आपको पूरे हिंदी क्षेत्र को साथ में लेकर चलना चाहिए | इसके अतिरिक्त राहुल राज , कार्य तो प्रशंशनीय था , कुछ भी ना करने से तो कहीं ज्यादा अच्छा परन्तु कोई लाभ नहीं हुआ| इसलिए राहुल राज की बजाय हमे उन्कारको पार धयान देना चाहिए जो महारास्त्र और मराठी को इतना शक्तिशाली बनाते हैं| हमे सबसे पहले तो अच्छे राजनीतिज्ञों को चुनना चाहिए जो दिल्ली में हमारे हिटूं के लिए संघर्ष करे ना की उनको जो की अपने दल के नेतृत्व के सामने स्कूली बच्चे की तरह व्यव्हार करें| और प्रदेशों में ऐसी सरकारें चाहियें जो मराठियों को उनको ही भाषा में उत्तर दे सकें | इसके अतिरिक्त हिंदी पट्टी प्रतिभा(जो की मराठी लोगों की से कई गण ज्यादा अच्छी है) उसको मराठियों का बहिष्कार करना चाहिए तभी हम महारास्ट्र की कमर तोड़ कर उन्हें उनकी स्थिति बता सकेंगे|