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22.1.10

चौहान उवाच ,मतलब क्या?

मैं एक बात सुबह से ही सोच रहा हूँ और अब जाकर आखिर में कुछ लिख देने को मजबूर हो गया हूँ |मैंने बचपन में मछली पकड़ते लोगो को बहुत देखा और बात करते सुना है और मुझे अब लगता है वो कुछ बात बहुत सही करते थे |एक बात वो करते थे की "गंदे पानी में रहने वाली बड़ी मछलियाँ पहले इसी पानी में रहने वाली छोटी मछलियों को शह देती है| और वही मछलियाँ जब बड़ी मछलियों के बताये तौर तरीको को जानकार उनको ही बताने लगते हैं तब बड़ी मछलियों को उनको बताना पड़ता है की वो उनसे बड़ी है |" ऐसा ही कुछ आजकल महाराष्ट्र में हो रहा है |पहले तो शिवसैनिक बाल ठाकरे दक्षिण भारतीयों को निशाना बनाते थे ,फिर बारी आई शिवसेना के दुलारे और एक मनमुटाव के कारण पार्टी से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाने वाले राज ठाकरे की |राज ने भी अपने को मराठी मानुस का असली हिमायती बताते हुए उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगलना शुरू किया, इसका फायदा राज को चुनाव में भी मिला और उनकी पार्टी को विधानसभा में 13 सीट प्राप्त हो गयी |अब जब वही बच्चा बड़े को ही चुनौती देने लगा तो बड़े को कुछ तो कदम उठाना पड़ेगा ,और इसको ध्यान में रख कर अब महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्मंत्री अशोक चौहान ने भी मराठियो के प्रति अपने प्रेम को जाहिर कर दिया है |चौहान ने अब यह कह कर अपनी मनसा जाहिर कर दी है की "महाराष्ट्र में सिर्फ लोकल लोगो को ही टैक्सी का परमिट मिलेगा ,बाद में अशोक ने इसकेलिए अपने को बचाने का प्रयास किया |सब कुछ ठीक है ऐसा अशोक को इस बार सरकार बनाने के बाद लग गया और उनको लगा की अब उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है |लेकिन कांग्रेस पार्टी आज उत्तर भारत में बेहद कमजोर है और कांग्रेस के गाँधी राहुल पार्टी की स्थिति को ठीक करने में लगे है |ऐसे में अशोक ने यह बयान देकर उनकी स्थिति को ख़राब कर दिया है अब चाहे राहुल कितना भी समझाने का प्रयास करें लेकिन एक बार जो सब्द निकल आता है उसका परिणाम तो कुछ पड़ता ही है |कांग्रेस का कोई अदना सा कार्यकर्त्ता वहां ऐसी बात तो उसे एक नासमझी या फिर अपनी स्थिति सुधारने की बात मानी जा सकती थी |लेकिन मुख्यमंत्री तो किसी भी पार्टी का प्रदेश में प्रमुख होता है और ऐसी बात अगर वो करे तो ऐसा जरूर है की इसपर पार्टी में कुछ न कुछ पाक रहा है |बाल ठाकरे के आँखों के सामने आज पार्टी की दुर्दशा हो रही है और वैसे भी राज और शिवसेना का मुख्य जनाधार जो भी है वह महाराष्ट्र तक ही है |वहीं कांग्रेस का जनाधार देश भर में है ,आज पार्टी बिना उत्तर भारत में जनाधार बनाये बहुमत नहीं पा सकती है और इसका अंदाज़ा अशोक चौहान को भी है |अब चौहान ने यह बयान देकर स्पष्ट कर दिया है की उनकी भी नीति किसी तरह सत्ता पाने की ही है और कुछ नहीं |कांग्रेस अपने को देश जोड़ने वाली पार्टी कहती है लेकिन उसके बड़े नेता अगर देश तोड़ने वाली बात कहे तो उसकी नीति का दोहरा सच नजर आता है |खैर जो भी हो लेकिन इतना तय हो गया की कांग्रेस जितना भी अपने आप को देश की हिमायती पार्टी कह ले वो है नहीं यह तो स्पष्ट हो गया |

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