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27.2.10

सच्चे ग्राम्यसेवक थे नानाजी देशमुख


नानाजी देशमुख ने राजनीति और सामाजिक विकास का नया मानक बनाया था, आज उनके निधन की खबर से बेहद कष्ट हुआ। नानाजी ने आरएसएस के श्रेष्ठतम प्रचारक और संगठनकर्ता के रुप में यश अर्जित किया था। मैं अपने छात्र जीवन में कईबार उनसे मिला था। मथुरा में मेरा घर है जहां पर संघ के सभी नामी व्यक्तित्वों को करीब से जानने का अवसर मिला करता था।

आपात्काल के बाद नानाजी जब पहलीबार मथुरा आए थे तो उन्हें करीब से जानने और अनेक मसलों पर खुली चर्चा का अवसर मिला था, शहर के सभी संघी नेता मेरे मंदिर पर नियमित आते थे और आज भी आते हैं। संयोग की बात थी कि मेरे हिन्दी शिक्षक मथुरानाथ चतुर्वेदी थे , संघ के श्रेष्ठतम नेता थे। मेरी हिन्दी और राजनीति में दिलचस्पी पैदा करने वाले वही प्रेरक थे । मथुरानाथ चतुर्वेदी वर्षों जनसंघ के अध्यक्ष रहे़, मथुरा नगरपालिका के भी चेयरमैन रहे। साथ ही मथुरा में संघ के संस्थापकों में प्रमुख थे। उनसे ही संघ के प्रमुख विचारकों का समस्त गंभीर साहित्य पढ़ने को मिला और मैं संघ के विचारकों से कभी प्रभावित नहीं हो पाया।
नानाजी के व्यक्तित्व के बारे में सबसे पहले आदरणीय मथुरानाथ चतुर्वेदी जी से ही जानने का मौका मिला था। नानाजी बेहद सरल व्यक्ति थे। संघ की विचारधारा का विकासरुपी मॉडल तैयार करने में उनकी केन्द्रीय भूमिका थी, विकास और हिन्दुत्व के अन्योन्याश्रित संबंध का उनका मॉडल ईसाइ मिशनरियों के सेवाभाव से प्रभावित था। नानाजी को भारत के गॉवों के उत्थान की चिन्ता थी.साथ ही उनका मानना था कि एक उम्र (60 साल) के बाद राजनेताओं को राजनीति त्यागकर जनसेवा करनी चाहिए। नानाजी की मृत्यु ने एक सच्चा ग्राम्यसेवक खो दिया है।
              




1 comment:

अंकित कुमार पाण्डेय said...

main 18 varsh ki umar tak chitrakoot me hi raha hun aur maine anubhav kiya hai un parivartanoo ko jo nanaji ki den ha

aise rishi ko shradhhanjali