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4.3.10

अगर अयोध्या कि विवादित भूमि पर अस्पताल बन जाये तो ....


अयोध्या की विवादित जगह से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है। सम्प्रदायिक हिंसा से सभी लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। हिंदू सम्प्रदाय के लोग राम मन्दिर के लिए और मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग मस्जिद के लिए बीते काफी समय से लड़ रहे है। इसका सही फैसला अभी तक हमारे सामने नहीं पाया है। विवादित भूमि ना जाने कब से यूं ही बेकार पड़ी हुई है। अगर वहां पर सरकारी अस्पताल बन जाएं तो उस जमीन का सही सदुपयोग हो जायेगा और विवादित जमीन के पीछे हो रहे झगड़े से हम हमेशा के लिए छूट जायेंगे। ऐसे स्थान पर यदि अस्पताल बनेगा तो इसमें सभी धर्मों के लोगों का ईलाज हो पायेगा। भारत में वैसे भी चिकित्सा के क्षेत्र में उतनी प्रगती नहीं हुई है जितनी होनी चाहिए। राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद की वजह से देश के माहौल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही भय बना रहता है कि कहीं फिर से सम्प्रदायिक दंगे ना भड़क पाये। मेरा तो यहीं मानना है कि यदि इस जमीन पर अस्पताल बना दिया जाये तो किसी को आपत्ती नहीं होनी चाहिए।

अगर मेरी सोच और जानकारी में कुछ गलत है तो मैं ब्लागियों से अनुरोध करूंगा कि मेरा मार्गदर्शन करें।

सूरज सिंह।

1 comment:

tension point said...

सूरज जी अयोध्या मुद्दा जो लोग जमीन का मानते हैं वो या तो किसी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े हैं या बिलकुल नादान हैं. ये मुद्दा केवल जमीन या मंदिर-मस्जिद का नहीं है ये केवल जिद का मामला है न मंदिर बना के हिन्दुओं को कुछ मिलना न मस्जिद बना कर मुसलामानों को कुछ मिलना. लेकिन कुछ राजनीतिज्ञों (अंग्रेजों के चेलों) द्वारा आजादी के बाद भी अंग्रेजी नीतियों को बनाये रखना इसकी जड़ में है. जिससे हिन्दुओं के एक वर्ग को लगा कि धर्म के नाम पर हमारे साथ भेदभाव हो रहा है और ये बात उन्होंने आम लोगों को समझा दी. शायद मेरे जैसे हिन्दू जो किसी भी राजनीतिक विचार धारा से जुड़ा नहीं है पर फिर भी वहां मंदिर का निर्माण चाहता है. क्योंकि मुझे पता लगा कि देश में कोई जगह ऐसी भी है जहाँ हम भारत का झंडा नहीं फहरा सकते,शायद हैदराबाद में. बाकी कश्मीरी हिन्दू-सिख जिस समस्या से जूझ रहे हैं वह सबकी दुखती रग है.क्योंकि भारत एक देश है केवल जमीन का टुकड़ा नहीं यहाँ के निवासी पूरे भारत को एक अंग मानते हैं भारत माता को देवी की तरह पूजते हैं इसीलिए तो जब कश्मीर पर कोई हमला होता है तो कन्याकुमारी में रहने वालों को भी पीड़ा होती है
पर आजादी के बाद यही भावना नेताओं ने एक विशेष वर्ग ( मुसलमानों) में नहीं पनपने दी . जबकि अधिकांश मुसलमान भारत को भारत माता मानने को अपना गौरव मानते हैं क्योंकि वे जानते हैं की उनके पूर्वज भी पांच सौ साल पहले भारत के रहने वाले हिन्दू ही थे......