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7.3.10

मेरे प्यार की दर्द भरी दास्ताँ - प्यार न करियो कोई

kai साल पहले की बात है। हमारे परिवार और एक लड़की के परिवार में घरेलू रिश्ते थे। दोनों परिवार के लोगों का एक-दूसरे के घर पर आना-जाना रहता था। हम दोनों लोग एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते थे इसके बावजूद हम दोनों के बीच बहुत कम बातचीत होती थी। उस लड़की के घर में एक दिन उसकी मां ने उसका ब्याह मेरे साथ करने की बात कही। और उस लड़की से उसका पक्ष जानना चाहा। लड़की तो उस समय चुप रही। लेकिन बाद में उस लड़की ने मेरे घर के एक सदस्य के माध्यम से शादी की बात मुझ तक पहुंचाई। मैं बड़े ही अनिश्चय में पड़ गया। इसी दौरान उस लड़की ने किसी न किसी बहाने से मुझसे बात करना शुरु कर दिया। बातों का सफर धीरे-धीरे मुलाकातों तक पहुंच गया। घर वालों से छिपाकर हम एक-दूसरे से एकांत में मिलने लगे। इस बीत हम दोनों एक दोस्त के रिश्ते के बाद और भी आगे बढ़ गए। इधर समय बीतता गया और हम दोनों के परिजनों के बीच कुछ खटास बढ़ गई। लेकिन दोनों ही पक्षों ने उसे किसी तरह से दूर कर लिया। लड़की के घरवालों की ओर से कई बार शादी के लिए दबाव डाला गया। स्थायी नौकरी न होने के कारण मैंने हर बार टाला। जब लड़की ने स्वयं जल्दी विवाह के लिए जोर दिया तो हम तैयार हो गए। अब बात इसकी आई कि आखिर विवाह के लिए पहल कौन करे। लड़की की ओर से प्रस्ताव किए जाने की परम्परा से हटकर हमारे पक्ष से ही विवाह का प्रस्ताव रखा गया। यह प्रस्ताव देख लड़की पक्ष के भाव बढ़ गए। उन लोगों ने अप्रत्यक्ष ढंग से प्रस्ताव लौटा दिया। अब हम दोनों प्यार के बंधन में बंधे होने के कारण परेशान हो गए। उधर लड़की पक्ष के लोगों ने दूसरी जगह लड़का ढूंढना शुरु कर दिया। हम दोनों इसके बावजूद निराश नहीं हुए। हम दोनों एक-दूसरे को पति-पत्नी के रुप में समझने लगे। उधर लड़की के घर आना-जाना कम हो गया। बीएड में लड़की का चयन हो गया। उसके घरवाले भेजने के लिए तैयार नहीं थे। मैंने अपनी इज्जत दांव पर रखकर उसके पिता पर एडमीशन कराने का दबाव डाला। उस समय अचानक एडमीशन कराने का निणर्य लिए जाने के कारण उनके पास काउंसलिग में भाग लेने के लिए डाफ्ट बनवाने तक के पैसे नहीं थे। मैनें पैसों का इंतजाम करके दिया। इधर उसके परिजन शादी के लिए इधर-उधर भटकते रहे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। मैं अध्यापक हो गया। मैंने उससे विवाह करने का पूरी तरह निणर्य कर लिया। उधर बीएड हो जाने के कारण लड़की के रिश्ते भी मिलने लगे। लड़की ने घरवालों की इच्छा को देखते हुए मुझसे अच्छा लड़का देखकर पल भर में ही मेरे सारे सपने तोड़ दिए। जहां वह मुझसे बात किए बिना जिंदा नहीं रह सकती थी। वहीं अब उसे मेरे चेहरे तक से नफरत होने लगी। मैंने जब पूरी सच्चाई को सबके सामने रखने के लिए सोचा तो वह कहने लगी कि हमारा और उसका कोई रिश्ता ही नहीं था। जबकि इससे पहले वह मेरे साथ न जाने कितने बार सो चुकी थी। अब वह अच्छी जगह ब्याह कर चुकी है। वहां पर उसका ब्याह नौकरी मिल जाने के कारण ही हुआ है। मुझे अभी तक अपने साथी की तलाश है। मैं प्रतिदिन सोचता हूं कि क्या सभी लड़कियां एसी ही होती हैं -मैं रोज ही उसको याद करता हूं और सोचता हूं कि मुझसे क्या गलती हुई तो एक बात सामने आती है कि मैं उसकी भूख नहीं मिटा सका। इसीलिए उसने किनारा कर लिया। लेकिन मैं तो उसे अपना समझकर बख्सता रहा।अब मैं एक बार उस लड़की से मिलकर केवल यह पूछना चाहता हूँ की मैं गलत हूँ या वह गलत । किसी के पास जवाब हो तो बताओ।

3 comments:

Dr.Ajit said...

यादव जी ऐसी बातों पर सार्वजनिक चर्चा न हो तो बेहतर है आखिर निजता का भी कुछ अर्थ होता है और शायद मर्यादा भी...शेष आप खुद समझदार हैं।
अन्यथा मत लेना मित्र...

डा.अजीत

dard said...

hum jise pyar karte he, us se shadi nahi hoti...pyar to shabd hi adhura h

Dr Mandhata Singh said...

यादवजी, निश्चित तौर पर आपके प्रति लड़की के मन में ऐसी गलतफहमी पैदा की गई जिसने चाह को नफरत में बदल दिया। अब जबतक इसका पता चलेगा आप जीवन के किसी और मोड़ पर खड़े होंगे। और फिर उसने जब अलग राह पकड़ ली तो बेहतर यही होगा कि एक शुभचिंतक की तरह उसके जीवन में कोई तूफान न खड़ा करें। यादव जी......... तेरा मेला पीछे छूटा, राही चल अकेला । कौन जाने कोई और हमराह आपका दुख दर्द बांटने आ जाए।