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17.3.10

मधुवन हमारा होगा

थोडा करीब आओ तो

कोई बात बने

डरी-डरी रहने से

नहीं कोई बात बनती

प्यार बहुत लोग करते हैं

सब अफसाना नहीं बनता

चाहिए चुटकी भर

हिम्मत और साहस

दो कदम चलने का

अग्निपथ पर

रुसवाई से क्यूँ डरे हम

सदियों से जमाना

दांव पेंच खेलता रहा

ना दुःख करो, धीरज रखो

विश्वास है मन में

आज दुख के आंसू हैं

तो कल मधुवन हमारा होगा।

माला वर्मा

2 comments:

Anonymous said...

wah kya rachna hai.

Rekha vyas
jodhpur

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति!