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16.3.10

कनबतियां

(उपदेश सक्सेना)
साईकिल बनी बवाले जान...
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी 'हाथ के पंजे' को देखकर पुलकित होती होंगी, 'कमल' को देखकर नितिन गडकरी भी जरूर फूल जाते होंगे, मगर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव की साँसें 'साईकिल' को देखकर अटक जाती है.यह सभी प्रतीक चिन्ह इन दलों के चुनाव चिन्ह भी हैं. दरअसल मुलायम गत दिवस जब अपने गृह ग्राम सैफई गए तो हवाई जहाज के लैंड करते वक़्त एक साईकिल सवार हवाई पट्टी पर सामने आ गया, हालांकि पायलट ने किसी संभावित दुर्घटना को टाल दिया लेकिन हादसे की कल्पना ने मुलायम के चेहरे का रंग ही उड़ा दिया. अब तक तो अमरसिंह ही उनकी नाक में दम किये थे अब उनकी अपनी साईकिल ही जान की दुश्मन बनने लगी है. गनीमत यह रही कि उस साईकिल सवार की जगह 'हाथी' पर बैठा कोई महावत नहीं था.

हेलो माइक टेस्टिंग.....

नेताओं को अपनी आवाज़ जनता तक पहुँचाने के कई माध्यम हैं, लेकिन जनता से सीधे संवाद में उन्हें कई खतरे भी होते हैं. सुरक्षा मामलों से इतर सबसे बड़ा खतरा जन-समस्याओं की शिकायतों का होता है. संवाद के दौरान आवाज़ को दूर-दूर तक पहुँचाने का काम लाउड स्पीकर करता है, नगर जब इससे भी आवाज़ जनता तक नहीं पहुंचे तो परेशानी लाजिमी है. ऐसा ही कुछ हुआ कांशीराम के जन्मदिन पर आयोजित रैली में. इसमें मुख्य वक्ता उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को होना था, और वे ही थीं भी. वे माइक सँभालने के तीन मिनट बाद तक इस बात से परेशान रहीं कि भीड़ के अंतिम व्यक्ति तक उनकी आवाज़ पहुँच भी रही है, या नहीं. आखिर उनके मैनजरों ने उन्हें संतुष्ट किया कि वे जहाँ तक अपनी बात पहुँचाना चाहती हैं वहां तक तो पहुँच ही रही है. अब मायावती जैसी बड़ी नेता को यह समझाना बेमानी है कि ढो कर लाई गई भीड़ नेताओं को सुनना चाहती भी है या नहीं यह समझें.

साफ्टवेयर विकसित करें चिदंबरम साहब
सब टीवी के बहुचर्चित हास्य कार्यक्रम 'ऑफिस-ऑफिस' में मुसद्दीलाल को सरकारी दफ्तरों की कार्यप्रणाली का खासा अनुभव हो गया था. अब केंद्र सरकार को भी यह अनुभव हो गया लगता है. गृह मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को कहा है कि, वे भले ही दफ्तर देरी से आयें मगर हफ्ते में ४० घंटे काम ज़रूर करें बात वही है हर दिन ८ घंटे की नौकरी. मगर चिदंबरम साहब यह भूल गए कि जब कर्मचारी दफ्तर के तय समय में ही अपनी सीटों से गायब रहते हों तो अतिरिक्त समय में वे क्या काम करेंगे? दफ्तर में कर्मचारी की मौजूदगी तय करना ही काफी नहीं है, उसके द्वारा ड्यूटी टाइम में किये गए कामकाज के आकलन का कोई साफ्टवेयर विकसित करना भी ज़रूरी है.

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