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20.6.10

भोपाल गैस त्रासदी : एंडरसन, इंसाफ और सियासत

अरविन्द शर्मा
फाइलों में लगभग दफन हो भोपाल गैस त्रासदी की फाइल 25 साल बाद खुली तो एंडरसन, इंसाफ और सियासत में फंसकर रह गई। लेकिन बड़ा सवाल आज भी जवाब मांग रहा है, सवाल उस कायरत से जुड़ा है, जो उस वक्त देश के सियासतदारों ने दिखाई। अब हम अमेरिका को कोस रहे हैं? यह भी हैरान करने वाली बात है कि उस वक्त मामले को दबाने और एंडरसन को भगाने से जुड़े अफसर व सियासतदार इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है। कई अफसर तो इस मामले की बजाए मीडिया को बनारस जैसे शहरों की खुबसूरती की बात करने के लिए कह रहे हैं। यानी हर कोई चुप्प रहना चाहता है? जाहिर है कि इस चुप्पी के पीछे ऐसा राज छिपा है जो सामने आया तो कई चेहरे बेनकाब होंगे। आज भोपाल के गैस पीडि़तों के लिए शोर मचा रहे सब लोग अपने गिरेबान में झांकें और यह सोचे कि 25 बरसों में उन्होंने गैस पीडि़तों के लिए कौनसा विशेष कार्य किया? केंद्र व राज्य सरकार मिलकर इस बात की जांच करें कि क्या सचमुच यूनियन कार्बाइड भोपाल के आस-पास का भूमिगत जल दूषित व प्रदूषित है या सिर्फ यह कोरी अफवाह है। सवाल यह भी है कि कैसे कोई संस्था वैज्ञानिक आधार पर यह दावा कर सकती है कि पानी दूषित है, वहीं राज्य सरकार कहती है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। यूनियन कार्बाइड के आसपास का पानी बिल्कुल स्वच्छ है। हैरानी और दुख की बात है कि इस मामले में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया।
ऐसे बड़े सवाल, जिनका जवाब शायद आपके पास हो?
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