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8.7.10

गोली मारो अरुंधती रॉय को

गोली मारो अरुंधती रॉय को 
क्या आप जानते हैं सुप्रसिद्ध लेखिका अरुंधती रॉय को????????? मन  तो करता है की नक्सलियों के साथ इन्हें भी गोली मार दूं. दरअसल बात यह हुई की मैडम पहुंची हेम पाण्डेय को श्रद्धांजलि देने......और करने लगी नक्सलियों की पैरवी....कहती हैं की किसी को हक नहीं है किसी नक्सली की इतनी निर्मम हत्या की जाये.......अब आप ही बताइए यह आज़ादी सिर्फ नक्सलियों को है......और भी सुनिए मैडम को पत्रकारों से बहुत हमदर्दी है पर पहले यह तो पक्का हो की हेम पाण्डेय नक्सली है या पत्रकार. मामला है की नक्सली नेता आज़ाद और हेम पाण्डेय १ एन्कोउन्टर में मारे गए थे, पर हेम पाण्डेय के घरवालों का कहना है की हेम पाण्डेय एक स्वतंत्र पत्रकार था, मैं पूछता हूँ अगर वो एक स्वतंत्र पत्रकार था तो जंगल में क्या करने गया था? मैं भी एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ पर मुझे अपनी सीमा का ज्ञान है की मैं जंगल में किसी नक्सली से संपर्क नहीं साध सकता क्यूंकि भारत सरकार द्वारा पत्रकारों पर जन सुरक्षा अधिनियम लागू है, और दूसरी बात यह की नाक्स्लियुं ने एक चिट्ठी भी भेजी थी जिसमे लिखा हुआ है की हेम पाण्डेय उनका साथी था, फिर आखिर अरुंधती रॉय इस मुठभेड़ की जाँच करवाने के पीछे क्यूँ पड़ी हुई हैं. क्या आपका मन नहीं करता ऐसे नक्सलियों के पैरवी करने वालों को गोली मरी जाये??????? 

1 comment:

tension point said...

अरे भाई विशाल जी मन तो करता है कि इन्हें गोली से नहीं केवल थप्पड़ मार - मार न सुधरने तक मारा जाये | पर क्या करें हम ऐसा नहीं कर सकते ; क्योंकि नक्सली नहीं हैं ; इसलिए |